राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन को खोला सार्वजनिक भ्रमण के लिए
राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून के छात्रों से मुलाकात की
DESK THE CITY NEWS
देहरादून। किसी देश या समाज की प्रगति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि समाज में दिव्यांग व्यक्तियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है। भारत का इतिहास संवेदनशीलता और समावेशिता की प्रेरक घटनाओं से भरा पड़ा है। हमारी संस्कृति और सभ्यता में मानवीय करुणा और प्रेम के तत्व हमेशा से मौजूद रहे हैं। सुगम्य भारत अभियान के माध्यम से, जो एक सुलभ भौतिक वातावरण, परिवहन, सूचना और संचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने पर जोर देता है, सरकार दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण और समान भागीदारी के लिए प्रयास कर रही है।
यह बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देहरादून में राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन के उद्घाटन समारोह में कही। राष्ट्रपति ने कहा कि आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है। उन्नत प्रौद्योगिकी की मदद से दिव्यांग व्यक्ति भी मुख्यधारा में अपना योगदान दे सकते हैं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान समावेशी शिक्षा प्रणाली और नवीनतम तकनीकी संसाधनों के माध्यम से छात्रों के सर्वांगीण विकास पर विशेष जोर दे रहा है। उन्होंने कहा कि समाज को जीवन के हर क्षेत्र में दिव्यांग व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयास करने चाहिए।
आगंतुक सुविधा केंद्र के उद्घाटन सहित राष्ट्रपति उद्यान की रखी आधारशिला
राष्ट्रपति ने आगंतुक सुविधा केंद्र, कैफेटेरिया और स्मारिका दुकान सहित सार्वजनिक सुविधाओं का भी उद्घाटन किया और राष्ट्रपति निकेतन में राष्ट्रपति उद्यान की आधारशिला रखी। उन्होंने जहां गुरूवार को राष्ट्रपति निकेतन में एक एम्फीथिएटर का भी उद्घाटन किया। देहरादून में राजपुर रोड पर स्थित राष्ट्रपति तपोवन, हिमालय की तलहटी में बसा 19 एकड़ का राष्ट्रपति भवन है, जो आध्यात्मिक विश्राम और पारिस्थितिकी संरक्षण पर जोर देता है। देशी वनस्पतियों से समृद्ध एक घना जंगल, तपोवन में 117 पौधों की प्रजातियाँ, 52 तितलियाँ, 41 पक्षी प्रजातियाँ और 7 जंगली स्तनधारी हैं, जिनमें कुछ संरक्षित प्रजातियाँ भी शामिल हैं। इस क्षेत्र में प्राकृतिक बांस के बाग और अछूते वुडलैंड पारिस्थितिकी तंत्र हैं। राष्ट्रपति निकेतन की स्थापना 1976 में राष्ट्रपति निवास के रूप में की गई थी। इसकी समृद्ध विरासत 1838 से चली आ रही है, जब यह एस्टेट गवर्नर जनरल के अंगरक्षक के लिए ग्रीष्मकालीन शिविर के रूप में काम करता था। यह 21 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें लिली तालाब, ऐतिहासिक इमारतें, बाग और अस्तबल शामिल हैं। राष्ट्रपति उद्यान, 132 एकड़ का सार्वजनिक पार्क, सुगमता और पारिस्थितिकी जिम्मेदारी का एक मॉडल होगा – एक नेट-जीरो सार्वजनिक पार्क, जो दिव्यांगजनों के लिए पूरी तरह से सुलभ होगा। इसका उद्देश्य नागरिकों के बीच स्वास्थ्य, संस्कृति और नागरिक गौरव को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक सहभागिता केंद्र बनना है।
पुस्तक का किया विमोचन
इस अवसर पर राष्ट्रपति निकेतन, राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति उद्यान की जैव विविधता पर एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। इस पुस्तक में राष्ट्रपति निकेतन, तपोवन और उद्यान की 300 से अधिक वनस्पतियों और 170 से अधिक जीवों की प्रजातियों का विवरण है, जिनमें तितलियाँ, पक्षी और स्तनधारी शामिल हैं। राष्ट्रपति तपोवन और राष्ट्रपति निकेतन क्रमशः 24 जून और 1 जुलाई से जनता के दर्शन के लिए खुले रहेंगे।
राष्ट्रपति ने किया विशेष डाक टिकट जारी
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति निकेतन, में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के ऐतिहासिक राजभवन नैनीताल के 125 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विशेष डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) भी उपस्थित रहे। उन्होंने राष्ट्रपति का इस ऐतिहासिक धरोहर को राष्ट्रीय स्मृति में स्थान दिलाने हेतु आभार प्रकट किया। गौरतलब है कि राजभवन नैनीताल का यह भवन ब्रिटिश काल की अद्भुत गोथिक स्थापत्य शैली का उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। राजभवन की भव्य वास्तुकला, भू-संरचना तथा इसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य इस धरोहर स्थल को विशिष्ट बनाते हैं। इस अवसर पर राज्यपाल ने राष्ट्रपति को ‘‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’’ काफी टेबल बुक भी भेंट की। यह कॉफी टेबल बुक राजभवन में मनाए जाने वाले प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के राज्य स्थापना दिवस पर आधारित है। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, राज्यपाल के सचिव रविनाथ रामन, चीफ पोस्टमास्टर जनरल, उत्तराखण्ड शशि शालिनी उपस्थित रही।
एनआईईपीवीडी में विज्ञान व गणित कक्षाओं की शुरुआत सरहानीय
देहरादून। इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा देशभर में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और बताया कि देश में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए 9 राष्ट्रीय संस्थान कार्यरत हैं। उन्होंने एनआईईपीवीडी में विज्ञान व गणित कक्षाओं की शुरुआत को सराहा और बताया कि यहां से पढ़े तीन छात्र आईएएस बने हैं। उन्होंने कहा यह समारोह दिव्यांग बच्चों के हौसले और प्रतिभा को सलाम करने का प्रेरणादायक क्षण बना।