हरिद्वार। हरिद्वार से रुपईडीहा जा रही बसों को उधर से खाली लौटाया जा रहा है। यहां तक रुपईडीहा डिपो का स्टाफ हरिद्वार डिपो के चालक परिचालकों को ठहरने भी नहीं दे रहे हैं। बसों की एंट्री होते ही वापस लौटा दे रहे हैं। इससे हरिद्वार डिपो के स्टाफ में आक्रोश है। उन्होंने रुपईडीहा के स्टाफ पर कार्रवाई की मांग करते हुए हरिद्वार डिपो में प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि इससे डिपो को प्रतिदिन चार से पांच लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उत्तराखंड रोडवेज इम्पाइज यूनियन शाखा हरिद्वार शाखा अध्यक्ष लोकेंद्र सिंह ने बताया कि हरिद्वार डिपो की पांच बसें कई प्रदेशों से होते हुए रुपईडीहा डिपो पहुंचती हैं। करीब 600 किमी की दूरी पर पहुंची बसों के चालक परिचालकों को रुपईडीहा डिपो में ठहरने नहीं दिया जाता है, जबकि उसका वहां पर रूकने का समय दो से ढाई घंटे का समय निर्धारित है। वहां का स्टाफ बसों में नेपाल आदि क्षेत्रों से हरिद्वार आने वाले यात्रियों को बसों में भी नहीं चढ़ने देते। जबकि उत्तर प्रदेश की बसें उस डिपो में करीब 8 घंटे तक रूकती है। उत्तराखंड के स्टाफ के लिए बने कक्ष में उन्होंने कैंटीन बना ली है। लेकिन अब पिछले एक महीने से ऐसी विपरित स्थिति बन रही है, जोकि 30 सालों में नहीं बनी। लोकेंद्र सिंह ने बताया कि अब ऐसे में बसों के चालक परिचालकों को बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है।
शाखा मंत्री चंद्रबीर और दीपक चौधरी ने कहा कि यदि जल्द रुपईडीहा डिपो के अधिकारियों ने अपना रवैया नहीं बदला तो वे हरिद्वार डिपो में आने वाली वहां की बसों में यात्रियों को बैठने नहीं देंगे। उन्होंने पूरे मामले में अपने डिपो के अधिकारियों को भी अवगत कराया है।
विरोध करने वालों में मोहर सिंह, राजपाल सिंह, शीशपाल, विजयपाल, नीटू पाल, कुलदीप, पारूल कुमार, कुलवीर सिंह, विजय कुमार, इकराम, शराफत, सुमित सिंह, समय सिंह राठौर, भूपेंद्र, सचिन, सिद्धांत,
मैनपाल, प्रदीप, शेखर, सुभाष आदि शामिल हुए।