आगामी स्पेस मीट के लिए जल्द तैयार करें एक विजन डाक्यूमेंट: प्रो. दुर्गेश पंत

आगामी स्पेस मीट के लिए जल्द तैयार करें एक विजन डाक्यूमेंट: प्रो. दुर्गेश पंत

DESK THE CITY NEWS 

देहरादून। हिमालयीय राज्यों के सतत विकासहेतु “विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौधोगिकी एवं उसके अनुप्रयोगों का लाभ: हिमालयीय राज्यों के दृष्टांत” विषय पर आयोजित कि जाने वाली राज्य स्तरीय स्टेट स्पेस मीट हेतु एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन यू-सैक सभागार मे किया गया। संगोष्ठी में राज्य के 21 रेखीय विभागों के 40 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। जिनमें- वन, सिंचाई, जल संस्थान, मृदा, पशुपालन, आपदा प्रबन्धन, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, ऊर्जा, कृषि, उद्यान, रेशम, जैवविविधता बोर्ड, लोक निर्माण विभाग, राजस्व, ग्राम्य विकास आदि विभागों के अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों/अभियंताओं द्वारा प्रतिभाग किया गया।

यूसैक के निदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कार्यशाला मे प्रतिभाग कर रहे प्रतिभागियों से कहा कि आगामी स्पेस मीट के लिए एक विजन डाक्यूमेंट तैयार किया जाना है जिसमें राज्य के सभी रेखीय विभागों को आठ थीमों. कृषि, पर्यावरण एवं ऊर्जा, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलेपमेंट, जल संसाधन, शिक्षा एवं स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन, डेवलेपमेंट प्लानिंग, प्रौधोगिकी प्रसार, संचार एवं नेविगेशन में बांटा गया है। इसके तहत विभागों द्वारा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग से वर्तमान में तथा भविष्य में संचालित परियोजनाओं का उल्लेख किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हिमालयी राज्यों के परिपेक्ष्य मे अंतरिक्ष प्रौधोगिकी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भूगर्भीय दृष्टि से अतिसंवेदनशील होने के कारण हिमालाई क्षेत्रों को समय-समय पर विभिन्न आपदाओं का सामना करना पड़ता है। उच्च विभेदी सैटेलाइट डेटा के उपयोग से आपदा प्रभावित/संभावित क्षेत्रों की निरंतर निगरानी की जा रही है, इसके अतिरिक्त पर्यावरण अनुश्रवन, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, इन्फ्रस्ट्रक्चर डेवलपमेंट और प्लानिंग आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अंतरिक्ष प्रौधोगिकी का उपयोग हो रहा है। संगोष्ठी में क्षेत्रीय सुदूर संवेदन केंद्र नार्थ (इसरो) के वैज्ञानिक डा. अभिनव शुक्ला ने आगामी नेशनल स्टेट मीट के बारे में जानकारी प्रदान की। कार्यशाला में वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. प्रवीन ठाकुर, वैज्ञानिक डा. सुषमा गैरोला, डा. अरूणा रानी, डा. आशा थपलियाल, डा. प्रियदर्शी उपाध्याय, डा. गजेन्द्र सिंह रावत, डा. नीलम रावत आदि उपस्थित थे।

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