पदम विभूषण और चिपको आन्दोलन के प्रेणता चंडीप्रसाद भट्ट की पत्नी देवेश्वरी देवी का निधन
देहरादून। प्रसिद्ध पर्यावरण विद और वनों की रक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध चिपको आन्दोलन के प्रेणता पदम विभूषण चंडीप्रसाद भट्ट की धर्म पत्नी देवेश्वरी देवी का देहांत हो गया। 89 वर्षीय देवेश्वरी भट्ट उत्तराखण्ड के विभिन्न जनान्दोलनों में सदैव आगे रहीं। 1970 के दशक में उत्तराखण्ड में शराबबंदी आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाने वाली देवेश्वरी भट्ट सहारनपुर और टिहरी जेल में भी रही। अपने पति चंडीप्रसाद भट्ट के साथ गृहस्थी के साथ ही देवेश्वरी भट्ट ने उत्तराखण्ड में सर्वाेदय विचार आन्दोलन को आगे बढाने का कार्य किया। वनान्दोलनों में सदैव आगे रहने वाली देवेश्वरी भट्ट धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका निधन इलाज के दौरान हुआ।
देवेश्वरी देवी 89 वर्ष की उम्र की थी। जनान्दोलनों की अग्रणी देवेश्वरी के निधन पर पूरे क्षेत्र में शोक की लहर छा गयी है। सामाजिक कार्यों में निस्वार्थ भाव से व्यक्ति तभी कार्य कर पाता है। जब गृहस्थी में उसे पत्नी का सहयोग मिले। गांधी वादी विचार धारा के समर्पित सिपाही अंतर्राष्ट्रीय गांधी शान्ति पुरस्कार से सम्मानित सर्वाेदय विचार को गांव गांव तक ले जाने और वनो की रक्षा के आन्दोलन में प्रेरक चंडीप्रसाद भट्ट द्वारा समाज संकल्प की सिद्धि व्रत में सफलता तभी मिल सकी। जब उनकी पत्नी देवेश्वरी देवी ने योगदान दिया।