मिट्टी से मिट्टी तक: आईआईटी रुड़की का भूसे से पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर

मिट्टी से मिट्टी तक: आईआईटी रुड़की का भूसे से पर्यावरण-अनुकूल टेबलवेयर


रूड़की। आईआईटी रुड़की की इनोपैप लैब ने गेहूँ के भूसे से जैव-अपघटनशील और कम्पोस्टेबल टेबलवेयर विकसित किया है, जो पारंपरिक प्लास्टिक और पराली जलाने की चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करता है। पैरासन मशीनरी इंडिया के सहयोग से यह नवाचार किसानों की आय बढ़ाने के साथ-साथ कृषि अपशिष्ट को मूल्यवान संसाधन में बदलता है।
कागज़ प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. विभोर के. रस्तोगी ने बताया कि यह प्रौद्योगिकी रोज़मर्रा के कृषि अवशेषों को उच्च गुणवत्ता वाले, पर्यावरण-अनुकूल उत्पादों में बदलकर “मिट्टी से मिट्टी तक” की दिशा में काम करती है। भारत में हर वर्ष लगभग 35 करोड़ टन कृषि अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसे जला दिया जाता है, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। यह पहल स्वच्छ भारत मिशन, आत्मनिर्भर भारत और संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है। निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने इसे प्रयोगशाला अनुसंधान को व्यावहारिक प्रभाव में बदलने का उदाहरण बताया। युवा शोधकर्ताओं जैस्मीन कौर और डॉ. राहुल रंजन ने इसमें अहम योगदान दिया।

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