-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संबोधन को सुनने के लिए 15 अगस्त को भारत आ रहे अमेरिकी सांसद
हमारे संवाददाता, 08 अगस्त 2023
दिल्ली। भारत आने वालों में खन्ना और वाल्ट्ज के अलावा सांसद डेबोरा रॉस, कैट कैममैक, थानेदार, जैस्मीन क्रॉकेट के साथ-साथ रिच मैककॉर्मिक और एड केस भी शामिल हैं। हालांकि सांसद खन्ना के लिए भारत आना और सांसदों से थोड़ा ज्यादा खास है। अमेरिकी सांसदों का एक द्विदलीय समूह 15 अगस्त को लाल किले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन को सुनने के लिए भारत आ रहा है।
द्विदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना और सांसद माइकल वाल्ट्ज कर रहे हैं। बतादें कि दोनों अमेरिकी सदन में देश विशेष के सबसे बड़े द्विदलीय गठबंधन ‘कांग्रेसनल कॉकस ऑन इंडिया एंड इंडियन अमेरिकन्स’ के सह-अध्यक्ष हैं। अमेरिका के सांसद लाल किले का दौरा करेंगे, जहां प्रधानमंत्री भारत के स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करेंगे। इसके अलावा ये लोग हैदराबाद, मुंबई और नई दिल्ली में व्यापार, तकनीकी, सरकार और बॉलीवुड से जुड़े लोगों से मुलाकात करेंगे। साथ ही महात्मा गांधी को समर्पित ऐतिहासिक स्मारक राजघाट का दौरा करेंगे।
बतादें कि भारत आने वालों में खन्ना और वाल्ट्ज के अलावा सांसद डेबोरा रॉस, कैट कैममैक, श्रीथानेदार, जैस्मीन क्रॉकेट के साथ-साथ रिच मैककॉर्मिक और एड केस भी शामिल हैं। हालांकि, सांसद खन्ना के लिए भारत आना और सांसदों से थोड़ा ज्यादा खास है। दरअसल, उनके दादा अमरनाथ विद्यालंकार एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने गांधीजी के साथ चार साल जेल में बिताए थे और बाद में भारत की पहली संसद का हिस्सा बने थे। खन्ना ने कहा कि इंडिया कॉकस के सह-अध्यक्ष के रूप में भारत में एक द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि हम इस दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक और रक्षा संबंधों को कैसे मजबूत किया जाए इस पर भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा, अगले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आएंगे। उनकी यात्रा से पहले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने अतीत में नियमित रूप से भारत के साथ मानवाधिकारों का मुद्दा उठाया है और भविष्य में भी ऐसा करेगा। विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने पत्रकारों से कहा कि हम नियमित रूप से उन देशों के साथ मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को उठाते हैं जिनके साथ हम जुड़ते हैं, हमने पहले भी भारत के साथ ऐसा किया है और हम भविष्य में भी ऐसा करेंगे।