सतीकुंड के पास सावन में आस्था को ठेस: प्लॉट में रह रहे वर्कर्स ने पकाया नॉनवेज

स्थानीय लोगों में रोष, जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल

 

DESK THE  CITY NEWS

हरिद्वार। धर्मनगरी हरिद्वार के सतीकुंड क्षेत्र में सावन के पवित्र सोमवार की शाम आस्था को ठेस पहुंचाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक प्लॉट में रह रहे वर्कर्स ने न सिर्फ मांसाहार पकाया बल्कि उसे खुलेआम खाया भी। इस घटना का वीडियो साक्ष्य के रूप में सामने आया है, जिसमें स्थानीय मंदिर की सेविका रजनी शर्मा स्पष्ट रूप से इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दे रही हैं।सावन का महीना शिवभक्तों के लिए सबसे अधिक श्रद्धा और संयम का समय होता है। खासकर सोमवार के दिन जब देशभर से कांवड़िए और श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं, ऐसे समय में इस तरह का कृत्य धार्मिक भावनाओं को आहत करने जैसा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र की पवित्रता और धार्मिक गरिमा के साथ यह सीधा खिलवाड़ है। ष्हम हर साल इस क्षेत्र को साफ-सुथरा और शांत बनाए रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन अब बाहर से आए मजदूरों द्वारा इस तरह की हरकतें माहौल को बिगाड़ रही हैं।
सेविका रजनी शर्मा ने स्पष्ट कहा है कि उन्होंने खुद देखा कि किस तरह से मांसाहार पकाया जा रहा था। उन्होंने इस पर तुरंत आपत्ति जताई और प्रशासनिक कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठे सवाल

स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि बार-बार शिकायतों के बावजूद जनप्रतिनिधि और प्रशासन इस ओर आंखें मूंदे बैठे हैं। न तो कोई निरीक्षण हुआ और न ही किसी तरह की रोक-टोक। लोग पूछ रहे हैं कि धार्मिक नगरी में इस तरह की घटनाओं को रोकना आखिर किसकी जिम्मेदारी है? लोगों का कहना है कि जनप्रतिनिधि चुनाव के समय तो बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन जब धर्म की बात आती है, तो कोई सामने नहीं आता। यह मामला केवल आस्था का नहीं, बल्कि हरिद्वार की धार्मिक पहचान और संस्कृति की रक्षा से भी जुड़ा हुआ है। यदि समय रहते सख्ती नहीं बरती गई तो ऐसे मामलों से शहर की छवि धूमिल होने में देर नहीं लगेगी।

स्थानीय लोगों की मांग

1. उक्त प्लॉट में रह रहे लोगों का सत्यापन किया जाए और जांच कर सख्त कार्रवाई की जाए।
2. धार्मिक स्थलों के आसपास ऐसे मामलों को लेकर प्रशासन सख्ती बरते।
3. जनप्रतिनिधि सामने आकर जवाब दें और इस पर स्पष्ट रुख रखें।
4. भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए एक स्थायी निगरानी तंत्र बनाया जाए।

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