मां गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल में लापरवाही की भेंट चढ़ीं दो जिंदगियां, मौके पर मचा हंगामा

 

 

नवजात सुरक्षित, दोनों मांओं की हुई मौत, डॉक्टर और स्टाफ फरार

 

सुमित तिवारी / उत्तराखंड प्रहरी ब्यूरो,

 

हरिद्वार। हरिद्वार जिले के बहादराबाद थाना क्षेत्र अंतर्गत आत्मलपुर बौगला स्थित मां गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल में रविवार को उस समय कोहराम मच गया जब डिलीवरी के लिए भर्ती दो महिलाओं की मौत हो गई। दोनों ने एक-एक संतान को जन्म दिया। सौभाग्य से दोनों नवजात पूरी तरह सुरक्षित हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश दोनों मांओं की प्रसव के दौरान मृत्यु हो गई। मृत महिलाओं की पहचान खुशबू (निवासी छोटी नरसान) और मीनाक्षी (निवासी नैनोता, हाल-निवास सलेमपुर किराए पर) के रूप में हुई है।

 

 

परिजनों का आरोप : लापरवाही बनी मौत की वजह

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों की घोर लापरवाही के कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ। मृतका खुशबू पहले से ही इसी अस्पताल में इलाज करवा रही थी। जब डिलीवरी का समय आया, तो उसे वहीं भर्ती कराया गया। इसी तरह मीनाक्षी भी नियमित जांच के लिए अस्पताल आती रही। लेकिन जब प्रसव की घड़ी आई तो डॉक्टर और स्टाफ ने लापरवाही की सारी हदें पार कर दीं। बताया जा रहा है कि दोनों महिलाओं की तबीयत बिगड़ने पर भी समय से कोई वरिष्ठ डॉक्टर मौके पर मौजूद नहीं था और न ही किसी तरह की इमरजेंसी सुविधा तुरंत उपलब्ध कराई गई। आरोप है कि अस्पताल स्टाफ ने प्रसव के दौरान अत्यधिक समय लिया और चिकित्सीय लापरवाही के चलते महिलाओं की हालत गंभीर हो गई, जो बाद में मौत में बदल गई।

 

स्टाफ और डॉक्टर हुए फरार

 

घटना के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया। परिजनों के आक्रोश को देखते हुए अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ मौके से फरार हो गए। पुलिस के अनुसार अस्पताल में ताला लटका मिला और जिम्मेदार कोई भी मौजूद नहीं था। मौके पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके।

 

 

माताओं की मौत से टूट गए परिवार

 

मीनाक्षी के पति सिडकुल में काम करते हैं। वह पत्नी के साथ सलेमपुर में किराए पर रहते थे। जैसे ही उन्हें पत्नी की मौत की सूचना मिली, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। दूसरी ओर, खुशबू के घर भी मातम का माहौल है। परिजन अस्पताल परिसर में ही फूट-फूट कर रो रहे थे। दोनों घरों में नवजातों की किलकारियां तो गूंज रही हैं, लेकिन उन्हें पालने वाली मां अब इस दुनिया में नहीं रही।

 

 

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर भी उठे सवाल

 

इस घटना ने स्थानीय स्वास्थ्य तंत्र और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। बिना किसी जांच के प्राइवेट अस्पतालों को संचालन की अनुमति देना, रेगुलेशन की कमी और चिकित्सा कर्मियों की जिम्मेदारी तय न होना जैसी कई खामियां इस दुखद घटना के मूल में नजर आ रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मां गंगा मेमोरियल हॉस्पिटल पहले भी कई बार लापरवाही के मामलों को लेकर चर्चाओं में रहा है, लेकिन कभी भी सख्त कार्रवाई नहीं हुई। अब जब दो जिंदगियां चली गईं, तब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब जागेगा स्वास्थ्य विभाग?

 

जांच की मांग, परिजनों को न्याय चाहिए

परिजनों और ग्रामीणों ने प्रशासन से इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही डॉक्टरों व अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई है। यदि समय रहते जांच नहीं होती और दोषियों को सजा नहीं मिलती, तो स्थानीय लोग बड़ा आंदोलन कर सकते हैं।

 

 

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