विधि-विधान व पूजा-अर्चना के साथ बंद हुए यमुनोत्री धाम के कपाट

उत्तरकाशी। भाईदूज के पावन पर्व पर गुरुवार को उत्तराखंड के प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट पारंपरिक रीति-रिवाजों, वैदिक मंत्रोच्चार और पूजा-अर्चना के साथ शीतकालीन अवकाश हेतु बंद कर दिए गए। दोपहर 12 बजकर 30 मिनट पर कपाट बंद होने की धार्मिक प्रक्रिया मंदिर परिसर में संपन्न हुई। कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की पालकी डोली ढोल-दमाऊ की स्वर लहरियों और जयकारों के बीच पूजा-अर्चना के साथ शीतकालीन प्रवास के लिए खरसाली (खुशीमठ) गांव के लिए रवाना हुई। डोली यात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

इस अवसर पर प्रशासन और पुलिस की ओर से सुरक्षा व व्यवस्था के पुख्ता प्रबंध किए गए थे। शीतकाल में मां यमुना जी की पूजा-अर्चना और दर्शन खरसाली गांव स्थित शीतकालीन गद्दीस्थल यमुना मंदिर में होंगे। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी कपाट बंद होने की प्रक्रिया आस्था और भावनाओं से ओत-प्रोत माहौल में संपन्न हुई। चारधाम यात्रा-2025 के दौरान यमुनोत्री धाम में इस वर्ष लगभग 6.5 लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। वहीं, यमुनोत्री और गंगोत्री धामों में कुल मिलाकर 14 लाख से अधिक श्रद्धालुओं’’ ने पहुंचकर भगवान के दर्शन किए।
इस अवसर पर एसडीएम बड़कोट वृजेश तिवारी, पुलिस उपाधीक्षक बड़कोट देवेंद्र सिंह नेगी, नायब तहसीलदार खजान सिंह असवाल, थानाध्यक्ष बड़कोट दीपक कठैत, यमुनोत्री मंदिर समिति के पदाधिकारी, तीर्थ पुरोहित, स्थानीय जनप्रतिनिधि और भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।