गणेश चतुर्थी: विघ्नहर्ता गणपति बप्पा के स्वागत की तैयारियां शुरू
हरिद्वार। भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी पर्व इस बार 27 अगस्त 2025, बुधवार से प्रारंभ होगा। यह पावन पर्व दस दिनों तक चलकर 6 सितंबर 2025 (अनंत चतुर्दशी) को विधिवत गणपति विसर्जन के साथ सम्पन्न होगा।
नारायण ज्योतिष संस्थान के आचार्य विकास जोशी ने बताया कि गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकारी देवता माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न काल में भगवान गणेश का अवतरण हुआ था। अतः इस दिन विशेष रूप से उनकी स्थापना और पूजन से घर-परिवार में सुख, समृद्धि और बाधा-विघ्नों का नाश होता है।
शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 26 अगस्त दोपहर 01ः54 बजे
चतुर्थी तिथि समापन: 27 अगस्त दोपहर 03ः44 बजे
गणेश स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त: 27 अगस्त मध्याह्न काल – सुबह 11ः05 बजे से दोपहर 01ः40 बजे तक।
10 दिनों तक विशेष पूजा और अनुष्ठान
गणेश चतुर्थी के दस दिनों तक गणपति बप्पा को अतिथि की तरह सम्मान दें, भजन-कीर्तन और आरती से वातावरण को भक्तिमय बनाएं। अनंत चतुर्दशी (6 सितंबर 2025) को गंगा स्नान कर विसर्जन करें और पुनः उनकी कृपा के लिए व्रत-संकल्प करें।
वर्जित चंद्र दर्शन
शास्त्रों के अनुसार 26 अगस्त से 27 अगस्त तक चंद्र दर्शन वर्जित है। ऐसा करने से मिथ्या दोष या कलंक का भय रहता है। अतः इस अवधि में चंद्रमा को न देखें।
इस वर्ष का विशेष योग
इस वर्ष गणेश चतुर्थी बुधवार को पड़ रही है, जो स्वयं गणपति का दिन है। साथ ही शुक्ल योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग जैसे दुर्लभ योग भी इस दिन बन रहे हैं। इसके अतिरिक्त लक्ष्मी नारायण योग, गजलक्ष्मी योग और महालक्ष्मी योग जैसे अनेक राजयोग इस अवधि में निर्मित हो रहे हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से यह समय ’’धन, सिद्धि और सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ’’ माना जा रहा है।