विशिष्ट रचनाओं के वादन के साथ मृदंग, ख्याल, सितार एवं ध्रुपद गायन की गूंज से गूंजा विश्वविद्यालय सभागार

विशिष्ट रचनाओं के वादन के साथ मृदंग, ख्याल, सितार एवं ध्रुपद गायन की गूंज से गूंजा विश्वविद्यालय सभागार
हरिद्वार। ख्याल गायन, मृदंग की थाप से एवं सितार की झंकार से सभागार गुंजायमान हुआ। इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार एवं पंडित रघुनाथ तलेगांवकर फाउंडेशन ट्रस्ट आगरा के संयुक्त तत्वाधान में ग्वालियर घराने के मूर्धन्य संगीतज्ञ संगीत महोपाध्याय पंडित रघुनाथ तलेगांवकर की जन्म शताब्दी वर्ष को समर्पित व्याख्या सहित प्रदर्शन कार्यशाला का आयोजन प्रार्थना सभागार शांतिकुंज में किया गया।
कार्यक्रम का प्रारंभ मां गायत्री, गुरुदेव राम शर्मा आचार्य, वंदनिया माता भगवती देवी, पंडित रघुनाथ तलेगांवकर, माता सुलभा तलेगांवकर एवं संगीत नक्षत्र पंडित केशव तलेगांवकर के चित्र पर कुलपति शरद पार्धी, कुलसचिव, डॉ.संतोष नामदेव, डॉक्टर गिरींद्र तलेगांवकर, रवींद्र तलेगांवकर, डॉक्टर लोकेंद्र तलेगांवकर एवं अर्चना तलेगांवकर के द्वारा माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन करके किया गया। इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के संगीत वाद्य अध्ययन केंद्र के छात्रों द्वारा सरस्वती वंदना एवं कुलगीत प्रस्तुत किया गया।
सर्वप्रथम मंच संचालक निवेदिता एवं लक्ष्मी ने कार्यक्रम की रूप रेखा के बारे में बताया। ट्रस्ट के अध्यक्ष विजयपाल सिंह ने ट्रस्ट की गतिविधियां पंडित रघुनाथ के बारे में उनके द्वारा किए गए कार्यों एवं संगीत के क्षेत्र में तलेगांवकर परिवार द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया।

कार्यक्रम के अंत में ट्रस्ट के अध्यक्ष विजयपाल सिंह चौहान ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रबंधन एवं वाद्य वादन विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया तथा उपस्थित श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया। देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के वाद्य वादन विभाग के अध्यक्ष डॉ संतोष नामदेव ने शांति पाठ के साथ सभा का समापन किया।

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