सावन माह में कैलाश छोड़कर कनखल में विराजते हैं भगवान भोलेनाथ

DESK THE CITY NEWS
डरबन। निरंजनी अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संत स्वामी रामभजन वन जी महाराज ने कहा कि देवशयनी एकादशी के साथ ही सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में है।इसी के साथ चातुर्मास का भी प्रारम्भ हो जाता है। चातुर्मास के प्रारंभ में भगवान शिव पूरे सावन माह में कैलाश पर्वत से आकर अपनी ससुराल दक्ष प्रजापति की नगरी कनखल (हरिद्वार) में विराजमान होते है। भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए शिवभक्त जल चढ़ाकर पूजा अर्चना कर मनोकामना पुर्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसी माह में उत्तर भारत की सबसे बड़ी कांवड़ यात्रा संपन्न होती है। अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए कांवरिया सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा कल शिवरात्रि पर जलाभिषेक करते हैं।
शिव शक्ति मेडिटेशन सेंटर, साऊथ अफ्रीका के संस्थापक स्वामी रामभजन वन महाराज बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए यह पूरा महीना शुभ माना जाता है। इस माह में भक्तगण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए श्रावण मास में विभिन्न व्रत रखते हैं। उत्तर भारतीय राज्यों में श्रावण मास को सावन माह के नाम से भी जाना जाता है।