छूटे हुए राज्य आन्दोलनकारियों ने की चिन्हीकरण की मांग
जखोली। राज्य आंदोलन से जुड़े विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने डीएम को ज्ञापन भेजकर उत्तराखंड आंदोलनकारियों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया जल्द शुरू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कई वर्षों से लटकी हुई है, जिससे राज्य आन्दोलनकारियों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।
राज्य आंदोलन से जुड़े छूटे हुए राज्य आन्दोलनकारियों का कहना था कि तत्कालीन राज्य आंदोलन के समय वर्ष 1994 में समूचे गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में राज्य कर्मचारियों एवं स्थानीय प्रशासन सहित आमजन के राज्य आंदोलन में शामिल होने के कारण प्रशासनिक दस्तावेजों में उनके नाम दर्ज नहीं होने के कारण उन्हें राज्य आंदोलनकारी का दर्जा दिए जाने से वंचित रखा गया है, जबकि तत्कालीन समय के दस्तावेजों में संघर्ष समिति का रजिस्टर साक्ष्य के रूप में आज भी उनके पास मौजूद हैं। उन्होंने कहा है कि वही संघर्ष समिति के धरने व प्रदर्शन की रिपोर्ट प्रतिदिन स्थानीय प्रशासन को भेजी जाती थी। इस अवसर पर उत्तराखंड आंदोलनकारी संघर्ष समिति के सचिव डॉ. हर्षवर्धन नैथानी, राज्य आंदोलनकारी हयात सिंह राणा, विक्रम भट्ट, बीरेंद्र सिंह राणा, पूर्व प्रधान विजेंद्र सिंह मेवाड़, आनंद सिंह राणा, विजेंद्र सिंह, उदय सिंह रावत आदि शामिल थे।