भगवान राम का नाम लेना आसान, लेकिन राम का हो जाना नहीं इतना आसान: सुमित तिवारी
हरिद्वार। बिल्वकेश्वर रोड स्थित श्री राम नाम विश्व बैंक समिति के अध्यक्ष पं. सुमित तिवारी ने कहा कि इस जीभा से भगवान राम का नाम लेना बड़ा ही आसान है, किंतु राम को अपना बना लेना और या राम का हो जाना बड़ा ही कठिन तथा दुर्लभ है, क्योंकि भगवान श्री राम के नाम का जाप करने मात्र से मनुष्य का लोक एवं परलोक दोनों सुधर जाते हैं।
उन्होंने कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने राम का नाम उल्टा भजा, तब भी उनका भजन सार्थक हो गया एवं भगवान राम को स्वीकार हुआ। भगवान राम की कृपा से महर्षि वाल्मीकि त्रिकालदर्शी बने एंव भगवान राम के जीवन पर आधारित श्री रामायण लिखने का उन्हें सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने उन घटनाओं का भी उसमें उल्लेख किया जो रामायण लिखे जाने के बाद घटित हुई। इसका मतलब यह है कि राम नाम की सार्थकता ने उन्हें त्रिकाल दर्शी बना दिया। समय से पूर्व घटित होने वाली घटनाओं का बोध करा दिया। पं. सुमित तिवारी ने कहा कि राम का होना है तो भगवान वीर हनुमान से प्रेरणा ले, जिन्होंने भगवान राम को प्रसन्न करने के लिए अपने सारे शरीर पर सिंदूर लगा लिया एंव भगवान राम उनके हो गये और हनुमान, भगवान राम के हो गये। यह प्रेरणा उन्हें माता जानकी को सिंदूर लगाते देख मिली और उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची लगन, निष्ठा, श्रद्धा भाव से कैसे भगवान को भी अपना बनाया जा सकता है। कहते हैं कि रामजी मिले ना हनुमान के बिना, अगर राम जी से मिलना है तो पहले हनुमान जी को मानना पड़ता है। यही सत्य है और यही जीवन की सार्थकता है।