पौड़ी में ग्रामोत्थान परियोजना बनी ग्रामीण आजीविका और आत्मनिर्भरता की आधारशिला
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखण्ड सरकार की ग्राम्य विकास विभाग के तहत संचालित ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना जनपद पौड़ी में ग्रामीण आजीविका और आत्मनिर्भरता का मजबूत आधार बनती जा रही है। आईफैड के वित्तीय सहयोग से संचालित यह परियोजना जनपद के सभी 15 विकासखण्डों में कार्यरत है और ग्रामीणों को उद्यमिता एवं स्वरोजगार की दिशा में नई राह दिखा रही है।
अब तक 60 क्लस्टर लेवल फेडरेशन और 3,982 स्वयं सहायता समूह परियोजना से जुड़े हैं, जिनसे करीब 22 हजार परिवार लाभान्वित हो रहे हैं। परियोजना के अंतर्गत ग्रामीणों को क्लाइमेट स्मार्ट कृषि, चारा विकास जैसे रोजगारपरक प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। 800 गरीब परिवारों को 35,000 का ब्याजमुक्त ऋण अल्ट्रा पुअर पैकेज के तहत उपलब्ध कराया गया, जिससे वे डेयरी, बकरी पालन, मुर्गी पालन, सिलाई सेंटर और जनरल स्टोर जैसे कार्यों से आजीविका कमा रहे हैं।
अब तक 407 लाभार्थियों को 1.96 करोड़ की वित्तीय सहायता, 3.12 करोड़ का बैंक लोन और 34.74 लाख का कन्वर्जेंस सहयोग मिल चुका है। इसके जरिए स्थानीय युवा और किसान डेयरी, मशरूम उत्पादन, होमस्टे, फूड वैन, रेस्टोरेंट, सैलून, टेंट हाउस और फैब्रिकेशन जैसे उद्यम स्थापित कर रहे हैं। समूह स्तर पर भी 8 सामूहिक उद्यम शुरू हो चुके हैं, जबकि 32 प्रगति पर हैं। वर्ष 2025 में 100 सामूहिक उद्यमों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है।
खोले गए हैं 6 किसान केंद्र
किसानों की सुविधा के लिए 6 किसान सेवा केन्द्र खोले गए हैं, जहां उन्हें पशु चारा, खल-चूरी, मिनरल मिक्सचर, सब्जियों के बीज और छोटे कृषि उपकरण सस्ते दामों पर मिल रहे हैं। इसके अलावा इस वर्ष जनपद में यात्रियों की सुविधा हेतु 20 हिमालयन भोजनालय वे-साइड ईट्रीज स्थापित करने का लक्ष्य है, जिनमें से 6 प्रस्ताव स्वीकृत हो चुके हैं।
4,994 महिलाएं बन चुकी लखपति दीदी
ग्रामोत्थान परियोजना के सहयोग से 4,994 महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं, जो सालाना 1 से 3 लाख तक कमा रही हैं। सीडीओ गिरीश गुणवन्त ने बताया कि परियोजना ने हाउस ऑफ हिमालया, बैन्जोज कंपनी कोटद्वार, उत्तरांचल फ्लावर एंड हर्ब्स हल्द्वानी और उत्तरा स्टेट एम्पोरियम देहरादून जैसी कंपनियों से टाई-अप किया है, जिससे ग्रामीण उत्पादों को व्यापक बाजार मिल रहा है।