गंगा केवल नदी नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र : सीआर पाटिल

 

हरिद्वार के चण्डी घाट पर आयोजित हुआ आठवां गंगा उत्सव

 

⁠हमारा उद्देश्य नदियों को सिर्फ जल का स्रोत नहीं बल्कि जीवन का आधार बनाना : राजीव मित्तल

 

हमारे संवाददाता दिनांक 04 नवंबर 2024

हरिद्वार। गंगा केवल नदी नहीं है, बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है और यह हमारी संस्कृति है, हमारी धरोहर है। अतः इसका संरक्षण और संवर्धन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। यह बात केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने चंडीघाट पर आयोजित आठवें गंगा उत्सव के शुभारंभ अवसर पर कही।

सोमवार को चंडी घाट स्थित नमामि गंगे घाट पर आठवां गंगा उत्सव मनाया गया। जिसमें केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखंड त्रिवेंद्र सिंह रावत तथा प्रदेश की कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य सहित तमाम नमामि गंगे से जुड़े अधिकारियों ने भाग लिया।

 

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने बीएसएफ की महिलाओं द्वारा देवप्रयाग से गंगासागर तक निकले गंगा यात्रा अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किय। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गंगा को स्वच्छ व निर्मल रखने का अभियान चलाया जा रहा है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल ने गंगा में महाशीर मछलियों को भी प्रवाहित किया और कई लाख मत्स्य बीज भी गंगा में छोड़े गए ताकि गंगा में जलीय जीव का संतुलन बना रहे।

 

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने गंगा उत्सव के दौरान कहा कि पूरे दुनिया के लिए गंगा सिर्फ नदी है लेकिन भारत के लिए ये पूजनीय है। हमारे जन्म पूजन से लेकर मृत्य तक सभी कार्य नदी से जुड़े है। इसलिए हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए गंगा को साफ एवं स्वच्छ रखना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ गंगा के सपने को पूरा करने के लिए हम सब प्रयासरत है और गंगा के साथ साथ अन्य नदियों को साफ रखने के लिए जल शक्ति मंत्रालय की प्राथमिकता है। उन्होंने आग्रह करते हुए कहा कि हमें अपनी आने वाले पीढ़ी के लिए स्वच्छ जल संचित करना चाहिए।

 

 

गंगा है देश के इतिहास का आधार : रेखा आर्य  

गंगा उत्सव के दौरान अपने सम्बोधन में श्रीमती रेखा आर्या, महिला एवं बाल विकास मंत्री, उत्तराखंड ने कहा कि हरिद्वार वो स्थान है जो उत्तराखंड का देव भूमि के रूप में परिचय करता है। कहा, इस देश के जन मानस के लिए गंगा नदी ना होकर… जीवन रेखा है। गंगा भारत की आत्मा है, यह भारतीय संस्कृति का प्राण तत्व है। यह समृद्ध सनातन सभ्यता और और संस्कृति की सबसे अनमोल धरोहर है। गंगा हमारे अस्तित्व की पहचान है, इस देश के इतिहास का आधार है। गंगा वो श्रृंगार है, जिसको धारण कर भारत की ये भूमि और इस भूमि से जुड़ा हर प्राणी खुद को गौरन्वान्वित महसूस करता है। गंगा शब्द को सुनते ही हमारे भीतर श्रद्धा का एक अद्भुत भाव अपने आप जागृत हो जाता है। कहा, आज ही का दिन वो ऐतिहासिक दिन है जब मां गंगा को राष्ट्रीय नदी के रूप में पहचाना गया। उत्सव को उत्साह में बदलने के लिए हम सभी प्रयासरत है।

 

गंगा के संरक्षण को लेकर है गंगा उत्सव: राजीव मित्तल

इस अवसर पर राजीव मित्तल, महानिदेशक, नमामि गंगे ने कहा कि आज का उत्सव मां गंगा के संरक्षण को लेकर है। हमारे साथ पांच अन्य राज्यों में भी ये उत्सव मनाया जा रहा है। कहा कि हमारा उद्देश्य है कि नदियों को सिर्फ जल का स्रोत नहीं बल्कि जीवन का आधार बनाएं। ये मात्र एक उत्सव नहीं अभियान है जिसके माध्यम से हम नदियों के महत्व को समझाने का प्रयास करते हैं।

 

समितियों ने लगाए स्टॉक, हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

इस अवसर पर घाट पर हाट के अंतर्गत कई गंगा तट के गांव की समितियों द्वारा स्टाल भी लगाए गए, जिसमें स्थानीय हर्बल उत्पादनों का प्रदर्शन किया गया और इसकी बिक्री की गई। इस अवसर पर कई सांस्कृतिक एवं धार्मिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। गंगा मंथन में सुबह के सत्र में जहां अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने मंथन किया वहीं स्कूली बच्चों के लिए विशेष भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें बच्चों ने गंगा से संबंधित व्याख्यान एवं कविताएं पढ़ी। साथ ही बच्चों के लिए चित्रकला का भी आयोजन किया गया।

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