1916 में पुरोहितों से हुआ था ब्रिटिश हुकूमत का समझौता
बांध बनाने को लेकर हुआ था पुरोहितों व अंग्रेजों में टकराव

हरिद्वार। हरिद्वार में गंगनहर बंदी के दौरान भी हरकी पैड़ी पर पर्याप्त जल बना हुआ है और चहल-पहल बनी हुई है। ब्रिटिश काल में हुए समझौते के तहत गंगा क्लोजर के दौरान भी हरकी पैड़ी पर जल बनाए रखा जाता है।
1914 में जब हरकी पैड़ी के सामने अंग्रेजों ने गंगा पर बांध बनाने की तैयारी की तो हरिद्वार के तत्कालीन पुरोहितों ने इसका पुरजोर विरोध किया। ब्रिटिश हुकूमत नहीं मानी तो पुरोहितों ने मदनमोहन मालवीय के नेतृत्व में संग्राम का ऐलान कर दिया। महामना ने तब तमाम हिंदू रियासतों से सेनाओं सहित हरिद्वार पहुंचने का आह्वान कर दिया। मामला बिगड़ते देख अंग्रेज नरम पड़े और दो साल बाद 1916 में अंग्रेजी अफसरान और पुरोहितों के बीच डैम से पहले हरकी पैड़ी की ओर अविच्छिन्न धारा से निरंतर जल बनाए रखने पर सहमति बनी। इस दौरान हुए समझौते में क्लोजर के दौरान भी ‘झंडू बांध’ यानी घासफूस का अस्थाई बंध बनाकर हरकी पैड़ी पर स्नान योग्य जल बनाए रखने का उल्लेख किया गया। जिसका पालन तब से आज तक निरंतर किया जा रहा है। हालांकि अब मैनूवल की बजाए जेसीबी और मशीनों से काम होता है और घास फूस के झंडू बांध की बजाए सीमेंट और रेत की बोरियों से अस्थाई बंध बनाया जाता है। समझौते में क्लोजर को छोड़कर हरकी पैड़ी पर हमेशा एक हजार क्यूसेक जल रखने की बात भी कही गई है हालांकि इसका पालन नहीं होता। लेकिन गंगनहर बंदी में भी हरकी पैड़ी पर जल बनाए रखने के समझौते का पिछले 110 सालों से निरंतर पालन हो रहा है।

•उत्तर प्रदेश की लाइफ लाइन है गंगनहर•
1842 में अंग्रेज गवर्नर लार्ड डलहौजी के समय इंजिनियर कर्नल काटले द्वारा बनाई गई गंगनहर का उद्देश्य तब तत्कालीन उत्तर प्रदेश में सिंचित क्षेत्र बढ़ाना था। गंगा तब से आज तक यूपी की लाइफ लाइन बनी हुई है। हरिद्वार से निकली गंगनहर में तीन जल-विद्युत परियोजनाएं भी अवस्थित हैं। मुरादनगर में इसी गंगनहर से दिल्ली को पीने के पानी की आपूर्ति की जाती है।
गंगा क्लोजर के दौरान हरकी पैड़ी पर सुबह-शाम पर्याप्त जल बना हुआ है और श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। हालांकि दोपहर में पर्याप्त जल उपलब्ध नहीं है। इससे विभाग को अवगत कराया गया है।
– तन्मय वशिष्ठ, महामंत्री: गंगासभा।
अनुबंध के अनुसार दो सौ क्यूसेक जल हरकी पैड़ी पर प्रवाहित किया जा रहा है और श्रद्धालु सुगमता से स्नान कर रहे हैं। विकास कार्यों के कारण दिन में जलस्तर प्रभावित हो रहा है। यथासंभव लेवल मैंटेन किया जा रहा है।
– भारत भूषण, एसडीओ सिंचाई।