स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी और Elsevier द्वारा जारी रैंकिंग में भारत का परचम

हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी डीम्ड टूबी यूनिवर्सिटी हरिद्वार के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ हरीश चंद्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल हुई है। उन्हें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी अमेरिका और Elsevier द्वारा जारी की गई विश्व के शीर्ष 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में लगातार तीसरे वर्ष 2023, 2024 और 2025 स्थान प्राप्त हुआ है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह सूची वैज्ञानिकों के शोधकार्यों और उनके वैश्विक प्रभाव का आकलन करने वाली सबसे प्रतिष्ठित सूचियों में से एक है। इसमें वैज्ञानिकों को उनके Citation (उद्धरण), h-Index, hm-Index, और Research Impact Score जैसे विभिन्न मानदंडों के आधार पर शामिल किया जाता है। इस सूची में स्थान पाना किसी भी वैज्ञानिक के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता का प्रमाण होता है।
डॉ हरीश चंद्र का चयन Biomedical Research क्षेत्र में हुआ है।
डॉ हरीश चंद्र एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने विज्ञान की दुनिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 2000 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी में एमएससी प्रथम श्रेणी पूरी की। इसके बाद 2009 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
उन्होंने केवल शैक्षणिक डिग्रियाँ ही नहीं प्राप्त कीं बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में भी अपनी प्रतिभा साबित की। CSIR-UGC NET-JRF (2001) और GATE (2002) में सफलता हासिल कर उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपने उज्ज्वल भविष्य की नींव रखी।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की यह सूची वैज्ञानिकों के शोधकार्यों और उनके वैश्विक प्रभाव का आकलन करने वाली सबसे प्रतिष्ठित सूचियों में से एक है। इसमें वैज्ञानिकों को उनके Citation (उद्धरण), h-Index, hm-Index, और Research Impact Score जैसे विभिन्न मानदंडों के आधार पर शामिल किया जाता है। इस सूची में स्थान पाना किसी भी वैज्ञानिक के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता का प्रमाण होता है।
डॉ हरीश चंद्र का चयन Biomedical Research क्षेत्र में हुआ है।
डॉ हरीश चंद्र एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने विज्ञान की दुनिया में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई। उन्होंने 2000 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से माइक्रोबायोलॉजी में एमएससी प्रथम श्रेणी पूरी की। इसके बाद 2009 में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
उन्होंने केवल शैक्षणिक डिग्रियाँ ही नहीं प्राप्त कीं बल्कि प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में भी अपनी प्रतिभा साबित की। CSIR-UGC NET-JRF (2001) और GATE (2002) में सफलता हासिल कर उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अपने उज्ज्वल भविष्य की नींव रखी।
यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि उनके परिवार उनके विश्वविद्यालय उत्तराखंड राज्य और पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण है।