आयोग की परीक्षाओं में क्षेत्रीय भाषाओं के कारण हो रही भिन्नता को दूर करने की उठाई मांग

राज्यपाल को प्रेषित किया ज्ञापन
हरिद्वार। मैदानी संवर्ग के समस्त अभ्यार्थियों की ओर से एक ज्ञापन जिलाधिकारी हरिद्वार के माध्यम से राज्यपाल  को प्रेषित करते हुए क्षेत्रीय भाषाओं के कारण परीक्षाओं में हो रही भिन्नता को दूर करने की मांग उठाईं
ज्ञापन में यह प्रमुख मांग रखी गई कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की परीक्षाओं में सम्मिलित की गई गढ़वाली, कुमाऊँनी एवं जौनसारी भाषाएँ – मैदानी संवर्ग के अभ्यार्थियों के साथ अनुचित प्रतिस्पर्धा एवं मेरिट असंतुलन उत्पन्न कर रही हैं। अभ्यार्थियों का कहना है कि यह व्यवस्था न्याय एवं समान अवसर के सिद्धांत के विपरीत है। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं में कई अनियमितताएं एवं पारदर्शिता की कमी देखी गई हैं, जिन पर शासन-प्रशासन को शीघ्र ध्यान देना आवश्यक है।
अभ्यार्थियों ने अनुरोध किया है कि उपरोक्त मांगों पर 30 दिवस (एक माह) की निश्चित समय सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित की जाए तथा परिणाम लिखित रूप में अवगत कराया जाए।
साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि निर्धारित अवधि में कोई सकारात्मक एवं न्यायोचित निर्णय नहीं लिया गया, तो मैदानी संवर्ग के छात्र-छात्राएं धरना, प्रदर्शन एवं आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
यह ज्ञापन मैदानी संवर्ग के समस्त अभ्यार्थियों की ओर से छात्र नेता शिवेंद्र मौर्य द्वारा जिलाधिकारी हरिद्वार को सौंपा गया। इस अवसर पर विशाल चौधरी, वंश दिवाकर, राहुल कुमार, आकाश सिंह एवं अन्य अभ्यार्थी उपस्थित रहे।

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