एक ही बारिश में ढेर हुआ लाखों की लागत से बना पुलम ब्लॉक, जांच की मांग

DESK THE CITY NEWS
थराली/देवाल। लाखों रूपयों की लागत से निर्मित पुलम ब्लाक एक बरसात भी नही झेल पाए जिससे विभागीय गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों ने बनाएं गए पुलमों की गुणवत्ता की शासन, प्रशासन से उच्च स्तरीय जांच मांग की हैं।
दरअसल विकास खंड देवाल के अंतर्गत
हाटकल्याणी-अटृठू- बेराधार तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 8 किमी मोटर सड़क का आरडब्लूडी के पीएमजीएसवाई कर्णप्रयाग डीविजन के द्वारा निर्माण कार्य किया गया था। किंतु इस सड़क के किमी 4 अटृठू गांव में सड़क पर अचानक पिछले वर्षों भूस्खलन होना शुरू हुआ था जिस कारण सड़क मार्ग यातायात के लिए बाधित होता आ रहा था। भूस्खलन रोकने के लिए पिछले वर्ष पीएमजीएसवाई के कर्णप्रयाग डीविजन के द्वारा यहां पर लाखों रूपयों के पुलम ब्लाकों का निर्माण कार्य करवाया था। किंतु इस बरसात में पुलम ब्लाक क्षतिग्रस्त हो गए हैं।किस गुणवत्ता के साथ ब्लाकों का निर्माण कार्य किया गया है,उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ब्लाक भूस्खलन में ढहें नही हैं बल्कि कई ब्लाक बीचों बीच फट कर रह गयें हैं।
अटृठू के नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान उमेश मिश्रा व इसी गांव के पूर्व शिक्षा एवं सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र प्रसाद मिश्रा ने बताया कि करीब 25 लाख रूपयों की लागत से भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में पीएमजीएसवाई के कर्णप्रयाग डीविजन के द्वारा पुलम ब्लाकों का पिछले वर्ष ही निर्माण कार्य किया गया था, किंतु मोटी धनराशि से निर्मित यें ब्लाक एक बरसात भी नही झेल पाए और भरभरा कर क्षतिग्रस्त हो गए। बताया कि ठेकेदार के द्वारा नदी से रेत,बजरी ना ला कर अटृठू गधेरे की मिट्टी नुमा रेत से पुलमों का निर्माण कार्य किया गया, जिससे यें ब्लाक बीचोंबीच फट कर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने फटे पुलमों की उच्चस्तरीय जांच की शासन, प्रशासन से मांग की हैं।बताया कि पिछले एक सप्ताह से इसी स्थान पर सड़क यातायात के लिए बंद पड़ी हुई हैं, जिससे अटृठू,कोठमी,बेराधार आदि गांवों के ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं।
करीब 25 लाख रूपयों की लागत से इस सड़क पर कार्य किए गए, इसके तहत स्लिप सफाई,वायरक्रेड़ निर्माण,पुलम ब्लाकों का निर्माण, सुरक्षा दिवालों का निर्माण कार्य किया गया।पुलम क्यूं फटा यह जांच का विषय हैं
डीएस भंडारी।
सहायक अभियंता
पीएमजुएसवाई कर्णप्रयाग