उत्तराखंड की खेती और किसान की गूंज दिल्ली तक: भोपाल सिंह चौधरी
DESK THE CITY NEWS
नई दिल्ली/श्रीनगर उत्तराखंड। उत्तराखंड की पहाड़ी खेती और वहां के काश्तकारों की चुनौतियों की गंभीरता अब केंद्र सरकार के उच्च मंचों पर गूंजने लगी है। नई दिल्ली के अंबेडकर इंटरनेशनल कॉम्प्लेक्स में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सम्मेलन कक्ष में आयोजित केंद्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग भारत सरकार की महत्वपूर्ण बैठक में उत्तराखंड किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता व उपाध्यक्ष भोपाल सिंह चौधरी और मंच के प्रदेश प्रभारी पीयूष जोशी ने उत्तराखंड की समस्याओं को प्रमुखता से रखा। बैठक की अध्यक्षता कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के चेयरमैन विजय पाल शर्मा ने की।
इस दौरान भोपाल सिंह चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सेब,दाल,आलू और अन्य पारंपरिक फसलें बेहद उपजाऊ भूमि में होती हैं,लेकिन बंदर,लंगूर और सुअरों जैसे जंगली जानवरों के आतंक ने किसानों की मेहनत को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से विशेष बजट प्रावधान कर पहाड़ों की खेती को बचाने और पलायन रोकने के लिए तारबाड़ और संरक्षित बाड़बंदी की योजना लागू करने की मांग की। चौधरी ने बद्री गाय की प्रजाति को बचाने की भी वकालत की और कहा कि इस गौवंश का दूध औषधीय गुणों से भरपूर है,जिसे बढ़ावा देकर पूरे देश को लाभ मिल सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि केंद्र सरकार पहाड़ों की खेती को संरक्षित करती है तो उत्तराखंड देश को जैविक खाद्यान्न की राजधानी बना सकता है। भोपाल सिंह चौधरी ने पहाड़ की आवाज बुलंद करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार विशेष बजट और नीति बनाकर पहाड़ की खेती को जंगली जानवरों से सुरक्षित करे, तभी पलायन रुकेगा और पहाड़ जीवित रहेंगे। आयोग के अध्यक्ष विजय पाल शर्मा ने उनके सुझावों को गंभीरता से लेते हुए उन्हें भविष्य की नीतियों में सम्मिलित करने का आश्वासन दिया।