कांग्रेस का हल्ला बोल: पंचायत चुनाव धांधली पर राज्यपाल से मिला प्रतिनिधि मंडल

राज्य निर्वाचन आयुक्त को बर्खास्त करने और सरकार को सख्त निर्देश देने की मांग
नैनीताल-बेतालघाट में गोलीबारी व अपहरण का जिक्र, भाजपा पर जंगलराज थोपने का आरोप
DESK THE CITY NEWS
देहरादून। उत्तराखंड की सियासत पंचायत चुनावों में हुई कथित धांधली और हिंसक घटनाओं को लेकर गरमा गई है। सोमवार को उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस का एक वृहद प्रतिनिधिमंडल प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) से राजभवन पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर चुनाव प्रक्रिया में भाजपा सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की मिलीभगत का आरोप लगाया तथा राज्य निर्वाचन आयुक्त को बर्खास्त करने के साथ-साथ सरकार को कानून-व्यवस्था सुधारने के कड़े निर्देश देने की मांग की।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनावों में न केवल धांधली की गई बल्कि सरकारी संरक्षण में सत्ता पक्ष ने गुंडागर्दी, गोलीबारी और अपहरण जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। नेताओं का कहना था कि चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था भी सरकार की कठपुतली बनकर काम करती रही, जिसके कारण लोकतंत्र की गरिमा को गहरी चोट पहुंची है।
सात माह की देरी, नियम विरुद्ध आरक्षण
राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा ने कहा कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर पंचायत चुनाव सात माह तक टाल दिए ताकि निकाय चुनावों में मतदाता रहे लोग ग्रामीण क्षेत्रों में भी मतदान कर सकें। उन्होंने कहा कि यह साजिश लोकतांत्रिक परंपरा पर सीधा हमला है। माहरा ने आगे आरोप लगाया कि जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य पदों पर आरक्षण करते समय नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। नैनीताल, बेतालघाट और रुद्रप्रयाग जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां प्रशासन मूकदर्शक बनकर बैठा रहा जबकि अपराधी खुलेआम जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण करते रहे और बेतालघाट में तो दिनदहाड़े गोलियां चलाई गईं।
निर्वाचन आयोग सरकार की कठपुतली
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि शुरू से लेकर चुनाव संपन्न होने तक राज्य निर्वाचन आयोग पूरी तरह से सरकार के इशारों पर काम करता रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने पंचायती राज कानून की धज्जियां उड़ाते हुए ऐसे आदेश जारी किए जो संविधान और एक्ट दोनों के खिलाफ थे। रावत ने उदाहरण देते हुए कहा कि आयोग ने दो जगह एक ही नाम वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी, जबकि नैनीताल हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। लेकिन आयोग ने न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना की, जिससे साफ है कि वह पूरी तरह से पक्षपाती भूमिका निभा रहा है।
जंगलराज कायम, विपक्ष पर एफआईआर
पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा सरकार ने प्रदेश में जंगलराज कायम कर दिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आरक्षण तय करने में भी नियमों की खुलेआम अनदेखी की गई। विधायक काजी निजामुद्दीन ने राज्यपाल से कहा कि संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं के संरक्षक होने के नाते उन्हें हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने विपक्ष के नेताओं को डराने के लिए उन पर झूठी एफआईआर दर्ज कराई, जबकि वास्तविक अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण दिया गया। वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना ने भी नाराजगी जताते हुए कहा कि विपक्ष जब-जब राजभवन से मिलने का समय चाहता है, सचिवालय से आनाकानी की जाती है। उन्होंने राज्यपाल से अनुरोध किया कि विपक्ष की आवाज भी उतनी ही गंभीरता से सुनी जानी चाहिए, जितनी सत्तापक्ष की सुनी जाती है।
चुनाव आयोग पर ही उठे सवाल
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग जैसी स्वायत्त संस्था भी सरकार की कठपुतली बनकर रह गई है। चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता पूरी तरह गायब रही और आयोग ने न्यायालय के आदेशों को भी दरकिनार कर दिया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अगर संविधान की रक्षा करने वाली संस्थाएं ही पक्षपाती हो जाएं तो लोकतंत्र पर गहरा संकट आना तय है।
राज्यपाल ने दिया आश्वासन
प्रतिनिधिमंडल की बात सुनने के बाद राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने नेताओं को आश्वस्त किया कि वे उठाए गए सभी बिंदुओं पर गंभीरता से विचार करेंगे और सरकार को उचित संदेश देंगे। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि भविष्य में विपक्षी दलों को राजभवन में समय देने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। राज्यपाल ने स्पष्ट किया कि उनका कार्यालय संविधान की मर्यादा और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर चलता है, और विपक्ष की आवाज भी लोकतंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रतिनिधिमंडल में ये रहे शामिल
राज्यपाल से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करण माहरा के साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह, विधायक काजी निजामुद्दीन, विधायक ममता राकेश, विधायक विक्रम सिंह, विधायक फुरकान अहमद, विधायक रवि बहादुर, विधायक अनुपमा रावत, पूर्व विधायक राजकुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन सूर्यकांत धस्माना, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अभिषेक सिंह, ज्योति रौतेला, मदन लाल, सरदार अमरजीत सिंह और डॉक्टर जसविंदर सिंह गोगी सहित कई वरिष्ठ नेता व पदाधिकारी मौजूद रहे।

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