उत्तराखंड संस्कृत अकादमी में प्रतियोगिताओं का शुभारंभ

उत्तराखंड प्रहरी ब्यूरो,
हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी की ओर से महाजन भवन भूपतवाला में आयोजित राज्य स्तरीय संस्कृत प्रतियोगिता का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि नगर विधायक मदन कौशिक ने कहा कि संस्कृत भारत के प्राचीन गौरव की प्रतीक है। संस्कृत के बिना भारत के अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मदन कौशिक ने कहा कि उत्तराखंड राज्य को संस्कृत के क्षेत्र में देश का नेतृत्व करने का कार्य हमारी सरकार कर रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने कहा कि संस्कृत शिक्षा विभाग उत्तराखंड राज्य सरकार संस्कृत के विकास और उत्थान के लिए लगातार कार्य कर रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए उच्च स्तरीय आयोग के गठन करने की घोषणा की गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा से निश्चित ही संस्कृत का उत्थान और विकास होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में संस्कृत के विकास के लिए उच्च स्तरीय आयोग के गठन से उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि पूरे देश में संस्कृत को एक नई गति मिलेगी।
इस अवसर पर अकादमी के प्रशासनिक अधिकारी किशोरी लाल रतूड़ी, वित्तीय अधिकारी, डॉ विजय त्यागी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्कृत शिक्षा सचिव दीपक कुमार ने कहा कि संस्कृत शिक्षा विभाग उत्तराखंड राज्य सरकार संस्कृत के विकास और उत्थान के लिए लगातार कार्य कर रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से संस्कृत के उत्थान और विकास के लिए उच्च स्तरीय आयोग के गठन करने की घोषणा की गई है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री की इस घोषणा से निश्चित ही संस्कृत का उत्थान और विकास होगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में संस्कृत के विकास के लिए उच्च स्तरीय आयोग के गठन से उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि पूरे देश में संस्कृत को एक नई गति मिलेगी।
इस अवसर पर अकादमी के प्रशासनिक अधिकारी किशोरी लाल रतूड़ी, वित्तीय अधिकारी, डॉ विजय त्यागी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
सरल संस्कृतम् पुस्तक का विमोचन
हरिद्वार। कार्यक्रम में अकादमी के शोध अधिकारी डॉक्टर हरिश्चंद्र गुरुरानी द्वारा संपादित पुस्तक सरल संस्कृतम् का विमोचन किया गया। प्रोफेसर पंत ने बताया कि यह पुस्तक लोगों को आसान तरीके से संस्कृत सीखने में मदद करेगी। इस पुस्तक से न केवल उत्तराखंड में बल्कि पूरे देश में संस्कृत का प्रचार प्रसार बढ़ेगा।