नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हुआ छठ महापर्व, कद्दू भात से व्रतियों ने लिया संकल्प

नहाय-खाय के साथ प्रारंभ हुआ छठ महापर्व, कद्दू भात से व्रतियों ने लिया संकल्प
हरिद्वार। लोक आस्था और सूर्य उपासना का महान पर्व छठ शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। गंगा घाटों से लेकर गांव-कस्बों तक माहौल भक्तिमय हो उठा है। व्रतियों ने लौकी की सब्जी, अरवा चावल और चने की दाल का प्रसाद ग्रहण कर शुद्ध आचरण व तपस्या के इस पर्व का संकल्प लिया। नहाय-खाय के साथ ही चार दिवसीय इस लोकपर्व की आधिकारिक शुरुआत हो गई है, जो 28 अक्टूबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पूर्ण होगा।
तीर्थनगरी हरिद्वार में छठ की रौनक चरम पर है। गंगा घाटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं। नगर निगम और प्रशासन की टीमें लगातार घाटों पर डटी हैं। छठ घाटों को रंग-बिरंगी झालरों और रोशनी से सजाया गया है। बाजारों में पूजा सामग्री खरीदने वालों की भारी भीड़ देखने को मिली। लोगों ने ईख, नारियल, सुपारी, कसार, थीकुआ, गेहूं का आटा, साड़ी, सूप, दौरा सहित पूजन सामग्री की खरीदारी की। सब्जियों में लौकी, कद्दू, हरी मटर, साग और हरा धनिया की सबसे अधिक मांग रही।
पंडित उद्धव मिश्रा ने बताया कि इस वर्ष छठ पर्व अत्यंत शुभ योगों में संपन्न हो रहा है। शनिवार को शोभन, रवि और सिद्ध योग के संयोग में नहाय-खाय सम्पन्न हुआ। रविवार को रवियोग और सर्वार्थ सिद्धि योग में खरना का आयोजन होगा, जहां व्रती दूध-चावल और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद ग्रहण करेंगे। इसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ होगा। सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य और मंगलवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा।
समाजसेवी रंजीता झा ने कहा कि यह पर्व प्रकृति से जुड़ाव और मानव जीवन में अनुशासन का संदेश देता है। आज हरिद्वार में घर-घर से छठ गीतों की स्वर लहरियां गूंज रही हैं और पूरा शहर भक्ति और आस्था से सराबोर है।

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