हरिद्वार। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के पावन सानिध्य में चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा का शुभारंभ गंगा के चंडी घाट पर मां गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना के साथ किया गया। इस अवसर पर काशी से आए आचार्यों ने गंगा की दिव्य एवं भव्य आरती की।
शंकराचार्य जी ने कहा कि चार धाम – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ के कपाट बंद होने के बाद भी श्रद्धालु शीतकालीन पूजा स्थलों पर दर्शन और पूजा-अर्चना कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सदियों से चली आ रही परंपरा के तहत शीतकाल में पूजा इन्हीं स्थलों पर होती है और इसका पुण्य लाभ ग्रीष्मकालीन यात्रा से भी अधिक होता है।
शीतकालीन यात्रा को बढ़ावा देने के प्रयास:
शंकराचार्य जी ने बताया कि विगत वर्ष पांच शताब्दियों बाद उन्होंने शीतकालीन चार धाम यात्रा का आयोजन किया था। अब राज्य सरकार भी इस यात्रा को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है, जो एक अच्छी पहल है।
150 से अधिक तीर्थ यात्री शामिल:
चार धाम शीतकालीन दर्शन यात्रा 16 दिसंबर से शुरू होकर 22 दिसंबर को हरिद्वार में संपन्न होगी। यात्रा प्रभारी ब्रह्मचारी मुकुंदानंद ने बताया कि गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार, दिल्ली और उत्तराखंड सहित देश के 10 से अधिक राज्यों से 150 से ज्यादा महिला और पुरुष तीर्थ यात्री इस यात्रा में शामिल हुए हैं।
ज्योतिर्मठ में गुरुकुल और अस्पताल का निर्माण:
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि ज्योतिर्मठ में शंकराचार्य गुरुकुलम की शुरुआत हो चुकी है। वहीं, चमोली जनपद में एक अन्य गुरुकुलम भी जल्द शुरू किया जाएगा। स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ज्योतिर्मठ में अस्पताल का भूमि पूजन किया गया है, जहां जल्द ही अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
शंकराचार्य जी ने यात्रा दल में शामिल सभी तीर्थ यात्रियों को चार धामों का माहात्म्य बताया और यात्रा की मंगल कामना की।