परिवार को 4 लाख का मुआवजा, वर्ष 2022 में हुआ था अंकिता हत्याकांड
देहरादून। बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में न्याय का इंतजार कर रहे लोगों के लिए शुक्रवार को बड़ी खबर सामने आई है। कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने तीनों आरोपियों पुलकित आर्या, अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर को दोषी करार दिया हैै। दोनों को दोषी करार देने के बाद कोर्ट ने उन्हें सजा भी सुना दी है।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में मुख्य दोषी पुलकित आर्या को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई गई। सह-आरोपी सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को भी आजीवन कारावास की सजा के साथ जुर्माना लगाया गया। जबकि पीड़ित परिवार को 4 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश कोर्ट ने दिया है।
गौरतलब है कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्या को आज टिहरी जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच कोटद्वार लाया गया। कोर्ट परिसर और उसके आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति न उत्पन्न हो। पौड़ी गढ़वाल के एसएसपी लोकेश्वर सिंह खुद सुरक्षा पर नजर रखे हुए थे।
2022 में अंकिता हत्याकांड ने देश को दिया था झकझोंर
अंकिता भंडारी की हत्या सितंबर 2022 में हुई थी, जिसने पूरे देश को झकझोंर कर रख दिया था। वह पुलकित आर्या के रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर कार्यरत थी। अंकिता भंडारी पर अवैध गतिविधियों में शामिल होने का दबाव बनाए जाने के आरोप लगे थे। विरोध करने पर उनकी हत्या कर दी गई थी। इस केस को लेकर पूरे उत्तराखंड सहित देशभर की जनता की निगाहें आज के फैसले पर टिकी थीं। कोर्ट के इस निर्णय से अंकिता के परिजनों और समाज को राहत मिली है। हालांकि अंकिता भंडारी के माता-पिता बेटी के हत्यारों के लिए फांसी की सजा की मांग कर रहे थे।
आखिर क्यों गिरफ्त से बाहर है वीवीआईपी
मायापुर स्थित यूनियन भवन में महानगर कांग्रेस और उत्तराखंड स्वतंत्रता सेनानी प्रकोष्ठ की बैठक में जिला महानगर कांग्रेस अध्यक्ष अमन गर्ग और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष मुरली मनोहर ने कहा कि अंकिता भण्डारी हत्याकांड से पूरे उत्तराखंड की जनता आंदोलित थी लेकिन अफसोस आज भी धामी सरकार की शिथिलता के कारण अंकिता भंडारी प्रकरण में वीआईपी आज भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है और चार्जशीट में या किसी भी जांच में वीआईपी को शामिल न करना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।