रघुवंशपुरी कौरा देवी ट्रस्ट की मानहानि का मामला, ट्रस्टी ने एसएसपी से की शिकायत
हरिद्वार। रघुवंशपुरी कौरा देवी ट्रस्ट के ट्रस्टी ने कुछ लोगों पर ट्रस्ट की मानहानि करने और अफवाह फैलाने का आरोप लगाते हुए एसएसपी को शिकायती पत्र सौंपा है। आरोप है कि सोशल मीडिया पर झूठी व भ्रामक पोस्ट डालकर ट्रस्ट और उसके ट्रस्टियों की छवि धूमिल की जा रही है।
शिकायत में कहा गया है कि दो लोग, उनके कुछ सहयोगियों ने चार सितंबर से फेसबुक, व्हाट्सऐप समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर गलत और अपमानजनक बातें प्रसारित की हैं। इन पोस्टों में यह प्रचारित किया जा रहा है कि ट्रस्ट न्यायालय में पेश नहीं हो रहा और ट्रस्ट भंग होने वाला है। साथ ही अन्य कई अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।
ट्रस्टी की ओर से कहा गया है कि वास्तविकता यह है कि ट्रस्ट नियमित रूप से न्यायालय में पेश होता आ रहा है। इसके उलट उन युवकों पर पहले ही ट्रस्ट की संपत्ति की फर्जी रजिस्ट्री कराने का आरोप सिद्ध हो चुका है। इस मामले में अपराध संख्या 719/2023 दर्ज किया गया था। पुलिस की जांच के बाद आरोपपत्र धारा 420, 467, 468, 471 व 120 बी में न्यायालय में दाखिल हो चुका है और अदालत ने इसका संज्ञान भी ले लिया है। मामला फिलहाल नैनीताल हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि विभागीय जांच में एक युवक को पहले ही दोषी पाया गया था। इसके बावजूद अब सोशल मीडिया के जरिए ट्रस्ट और उसके ट्रस्टीगण की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई जा रही है।
शिकायत में कहा गया है कि दो लोग, उनके कुछ सहयोगियों ने चार सितंबर से फेसबुक, व्हाट्सऐप समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर गलत और अपमानजनक बातें प्रसारित की हैं। इन पोस्टों में यह प्रचारित किया जा रहा है कि ट्रस्ट न्यायालय में पेश नहीं हो रहा और ट्रस्ट भंग होने वाला है। साथ ही अन्य कई अफवाहें उड़ाई जा रही हैं।
ट्रस्टी की ओर से कहा गया है कि वास्तविकता यह है कि ट्रस्ट नियमित रूप से न्यायालय में पेश होता आ रहा है। इसके उलट उन युवकों पर पहले ही ट्रस्ट की संपत्ति की फर्जी रजिस्ट्री कराने का आरोप सिद्ध हो चुका है। इस मामले में अपराध संख्या 719/2023 दर्ज किया गया था। पुलिस की जांच के बाद आरोपपत्र धारा 420, 467, 468, 471 व 120 बी में न्यायालय में दाखिल हो चुका है और अदालत ने इसका संज्ञान भी ले लिया है। मामला फिलहाल नैनीताल हाईकोर्ट में विचाराधीन है।
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि विभागीय जांच में एक युवक को पहले ही दोषी पाया गया था। इसके बावजूद अब सोशल मीडिया के जरिए ट्रस्ट और उसके ट्रस्टीगण की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई जा रही है।