दिल्ली हाईकोर्ट का आया ये फैसला, जानकर हो जाएंगे हैरान
नई दिल्ली संवाददाता, 12 मई 2022
वैवाहिक दुष्कर्म मामले में अब नया मोड़ आ गया है दिल्ली हाईकोर्ट के दो जजों ने इस पर अपनी अलग अलग प्रतिक्रिया देकर सबको चौंका दिया है। अब उन्होंने इस मामले की गेंद सुप्रीम कोर्ट में डाल दी है। उन्होंने दोनों एक राय बनाने के लिए दोनों पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट में जाने का रास्ता भी दिखाया है।
वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग पर उच्च न्यायालय ने बुधवार को बंटा हुआ फैसला सुनाया। करीब सात साल से लंबित इस मसले पर एक न्यायाधीश ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के पक्ष में फैसला दिया, जबकि दूसरे ने इसके विपक्ष में अपनी राय दी। हालांकि, दोनों ने पक्षकारों को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की छूट दे दी।
पीठ की अगुवाई कर रहे जस्टिस राजीव शकधर ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376बी व धारा 375 के अपवाद 2 को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि पति या अलग रह रहे पति द्वारा 18 वर्ष से अधिक उम्र की पत्नी के साथ उसकी मर्जी के बगैर यौन संबंध बनाना, उसके संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
वहीं, जस्टिस सी. हरि शंकर ने कहा, यह अपवाद असंवैधानिक नहीं है और एक समझदार अंतर पर आधारित है। आरटीआई फाउंडेशन व अन्य ने कानून की वैधता को चुनौती दी है। कहा है कि यह उन विवाहित महिलाओं के साथ भेदभाव करती है, जिनके पति उनकी सहमति के बगैर यौन संबंध बनाते हैं।
क्या है पूरा मामला
दिल्ली हाईकोर्ट आईपीसी की धारा 375 के अपवाद 2 को समाप्त करके वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में रखने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। इसी कानून में पत्नी के साथ उसकी मर्जी के बगैर पति द्वारा शारीरिक संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है।