दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों की फीस पर लगाम लगाने का दावा किया तो दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने उनके दावे को झूठा बताया.
दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों की फीस पर लगाम लगाने का दावा किया तो वहीं दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन ने उनके दावे को झूठा बताया. दरअसल, मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, “हाल में कई राज्यों में चुनाव हुए, दो पार्टियों की सरकारें बनीं. पंजाब में जब हमारी सरकार बनी उसके 10 दिन में आदेश आया कि प्राइवेट स्कूल मनमर्जी से फीस नहीं बढ़ाएंगे. दूसरी तरफ यूपी की सरकार ने 10 दिन के भीतर आदेश पारित कर दिया कि प्राइवेट स्कूलों को फीस के जरिए लूटने की खुली छूट है.
उन्होंने आगे कहा, “दिल्ली में बीते 7 सालों में प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने से रोका गया है. हमने सिस्टम बनाया कि स्कूलों के खाते चेक करने के बाद हम स्कूलों को फीस बढ़ाने की इजाजत देंगे. कोरोना के बाद लोगों की नौकरियां गईं हैं, लोगों के पास पैसे नहीं हैं. सरकारी स्कूल ठीक नहीं किए जा रहे हैं”
वहीं, मनीष सिसोदिया की प्रेस वार्ता के बाद दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन से अपराजिता गौतम ने बयान जारी करते हुए शिक्षा मंत्री की दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों की फीस पर जो लगाम का दावा किया गया है उसको झूठा बताया. उन्होंने कहा, “शिक्षा मंत्री कहते हैं पंजाब में सरकार बनने के 10 दिन के भीतर आपने स्कूलों को फीस नहीं बढ़ाने की घोषणा की जबकि दिल्ली वाले तो पिछले 7 सालों से आपकी बेबुनियादी घोषणा सुनते आ रहे हैं. साथ ही आपकी नाक के नीचे प्राइवेट स्कूल हर साल 10% क्या 70-80% फीस बढ़ा रहे हैं. लेकिन क्योंकि आपका इनको पूरा सपोर्ट है जिसके चलते पेरेंट्स की ढेरों शिकायतों पर जानबूझ कर आप कार्रवाई नहीं करते.”
पेरेंट्स एसोसिएशन ने शिक्षा मंत्री से पूछे यह सवाल
दिल्ली में शिक्षा में बदलाव हुआ है तो आज लगभग हर स्कूल का पैरेंट कोर्ट जानें को क्यों मजबूर है? क्यों उसे आज स्कूलों की मनमानी फीस के खिलाफ सड़कों पर धरना देना पड़ रहा है? हम खुद और लाखों पेरेंट्स हर रोज़ आपको स्कूलों की मनमानी के खिलाफ सबूतों के साथ ढ़ेरों अनुरोध पत्र और शिकायतें दे चुके हैं उस पर बताएं क्यों कार्रवाई नहीं कर पा रहे? आपकी क्या मजबूरी है? आप बार-बार कह रहे थे कि स्कूलों को मनमानी फीस वसूली से रोका गया है तो क्या हम ये मानें कि पिछले कई वर्षों में स्कूलों द्वारा जो 70 -80% फीस वृद्धि की गई. सब आपकी अनुमति से ही हो रहा है?