आईआईटी रुड़की में हुआ 8वें अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का शुभारंभ

आईआईटी रुड़की में हुआ 8वें अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का शुभारंभ
 
 
रूड़की। आईआईटी रुड़की में आठवें अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन का शुभारंभ हुआ, जिसमें शिक्षा, सतत विकास और नैतिक नेतृत्व के संदर्भ में रामायण की समकालीन प्रासंगिकता पर विशेष चर्चा हुई। उद्घाटन अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के. के. पंत ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल आजीविका अर्जन नहीं, बल्कि मानवता की सेवा है। उन्होंने रामचरितमानस के मूल्यों को युवाओं में आत्मसात करने पर बल दिया और माता-पिता के प्रति कर्तव्य, सामाजिक उत्तरदायित्व तथा रामराज्य के आदर्शों को आधुनिक संदर्भ में जोड़ने की आवश्यकता बताई।
महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने रामायण एवं अन्य शास्त्रों की चरित्र-निर्माण और आंतरिक सुख में कालातीत प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। उद्घाटन सत्र में “गीता शब्द अनुक्रमणिका” और सम्मेलन की ई-कार्यवाही का विमोचन भी हुआ। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल को उनके पांच दशकों के योगदान के लिए मरणोपरांत “रामायण रत्न” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सम्मेलन में लगभग 150 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिन्हें समकक्ष समीक्षा के बाद ई-बुक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा। तीन दिवसीय सम्मेलन में भारत एवं विदेशों से विद्वान, संत और शोधकर्ता भारतीय ज्ञान परंपरा पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। इस अवसर पर श्री रामचरित भवन रत्न, विभूषण और भूषण पुरस्कार विजेताओं को भी सम्मानित किया गया।
सम्मेलन ने रामायण के मूल्यों को सततता, नैतिकता, समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण से जोड़कर आधुनिक शिक्षा एवं जीवन में उनके अनुप्रयोग को उजागर किया। समापन सत्र में उत्कृष्ट शोध योगदान के लिए सुश्री साक्षी गोयल, डॉ. अपर्णा सिंह, श्री राकेश चौबे एवं डॉ. राजेश कुमार मिश्र को श्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार प्रदान किए गए। यह सम्मेलन भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक समाज के बीच पुल स्थापित करने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।

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