नील-हरित शैवाल एवं जड़ी-बूटी के उत्पादन से किसानों को मिलेगा लाभ

चमोली/श्रीनगर गढ़वाल। मण्डल गोपेश्वर स्थित जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान में रविवार को मुख्य विकास अधिकारी डॉ. अभिषेक त्रिपाठी की अध्यक्षता में नील-हरित शैवाल और जड़ी-बूटी विकास पर समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ओ.एम. तिवारी और वैज्ञानिक ए.के. भण्डारी ने विस्तृत जानकारी साझा की। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. त्रिपाठी द्वारा डॉ. तिवारी को पुष्पगुच्छ और शॉल भेंट कर की गई, जिसके बाद जड़ी-बूटी पौधालयों का निरीक्षण किया गया।
डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि मनरेगा के तहत किसानों को 3 नाली भूमि पर औषधीय पौधों की खेती के लिए मुफ्त पौध उपलब्ध कराई जा रही है। वर्तमान में 26 हजार से अधिक किसान जड़ी-बूटी उत्पादन के लिए संस्थान से पंजीकृत हैं। उन्होंने नील-हरित शैवाल स्पिरुलिना की खेती को किसानों की आय बढ़ाने का नया अवसर बताया। वैज्ञानिक डॉ. ओ.एम. तिवारी ने कहा कि स्पिरुलिना विश्व में पाई जाने वाली नौ प्रजातियों में से एक है और अब यह ताजे पानी में भी उगाई जा सकती है। वर्ष 1971 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्पिरुलिना को सुपर फूड घोषित किया था। वैज्ञानिक ए.के. भण्डारी ने बताया कि संस्थान की स्थापना 1989 में हुई थी और 2002 से बड़े पैमाने पर जड़ी-बूटी खेती का विस्तार किया गया। बैठक में परियोजना निदेशक आनंद सिंह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।