हर्षाेल्लास से मनाया गया सिद्धेश्वर महादेव पौराणिक दिलंक मेला

उत्तरकाशी। बलिराज के दिन धनारी क्षेत्र में सिद्धेश्वर महादेव का पौराणिक दिलंक मेला बड़े हर्षाेल्लास और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया। मेले का मुख्य आकर्षण रहे दो विशाल चीड़ के पेड़, जिन्हें शिव और पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इन पेड़ों को तीनों गाँवों के ग्रामीण अमावस्या की रात्रि में तैयार की गई बाबले की रस्सियों से अग्नि प्रज्वलित कर खड़ा करते हैं, जिसे पूरे क्षेत्र की सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
मान्यता है कि पेड़ गिराते या लाते समय इसका शीर्ष न टूटे, अन्यथा इसे अपशकुन माना जाता है। मेले में दूर-दूर से आए लोगों ने आशीर्वाद लिया, तांदी गीत गाए और रस्साकशी सहित पारंपरिक गतिविधियों में भाग लिया। नवयुवकों की सक्रिय भागीदारी ने इस सांस्कृतिक विरासत को और भव्य बनाया। इस अवसर पर राज्य मंत्री प्रताप पंवार, वरिष्ठ नेता सुरेन्द्र पंवार, ग्राम प्रधान, जनप्रतिनिधि, अधिकारी व क्षेत्र के सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।