88 पार्कों के सौंदर्यकरण घोटाले में सूचना न देने लगाया 5 हजार का जुर्माना
हरिद्वार। सूचना आयोग ने 88 पार्कों के सौंदर्यकरण घोटाले से जुड़ी सूचनाएं समय पर उपलब्ध न कराने के मामले में हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण की लापरवाही पर सख्त रुख अपनाया है। सूचना आयुक्त दिलीप सिंह कुंवर ने सहायक अभियंता वर्षा पर 5,000 का अर्थदंड लगाया है।
यह कार्रवाई सामाजिक कार्यकर्ता एवं राष्ट्रीय सूचना अधिकार जागृति मिशन के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा द्वारा दाखिल दूसरी अपील (संख्या 4080) पर की गई। शर्मा ने 5 जनवरी 2024 को विकास प्राधिकरण से 88 सार्वजनिक पार्कों के सौंदर्यकरण पर हुए खर्च, स्थानों और कार्य की स्थिति से संबंधित सूचनाएं मांगी थीं। आयुक्त ने पाया कि अधिकारी द्वारा सूचना देने में लापरवाही बरती गई और गलत व अपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की गई। पहले 13 फरवरी 2025 को सहायक अभियंता से स्पष्टीकरण मांगा गया था तथा 4 जुलाई को धारा 20(1) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। प्रथम लोक सूचना अधिकारी (उद्यान अधिकारी) आशा राम जोशी की कार्यशैली की निंदा करते हुए आयोग ने अपर आयुक्त प्रशासन गढ़वाल मंडल उत्तम सिंह चौहान से भी जवाब मांगा था। अंततः 9 सितंबर 2025 को आयोग ने आदेश दिया कि सहायक अभियंता द्वारा जुर्माना राशि तीन माह में राजकोष में जमा कराई जाए, अन्यथा वेतन से तीन किस्तों में वसूली की जाएगी। सूचना आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जनहित में अत्यावश्यक है।
यह कार्रवाई सामाजिक कार्यकर्ता एवं राष्ट्रीय सूचना अधिकार जागृति मिशन के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा द्वारा दाखिल दूसरी अपील (संख्या 4080) पर की गई। शर्मा ने 5 जनवरी 2024 को विकास प्राधिकरण से 88 सार्वजनिक पार्कों के सौंदर्यकरण पर हुए खर्च, स्थानों और कार्य की स्थिति से संबंधित सूचनाएं मांगी थीं। आयुक्त ने पाया कि अधिकारी द्वारा सूचना देने में लापरवाही बरती गई और गलत व अपूर्ण जानकारी प्रस्तुत की गई। पहले 13 फरवरी 2025 को सहायक अभियंता से स्पष्टीकरण मांगा गया था तथा 4 जुलाई को धारा 20(1) के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। प्रथम लोक सूचना अधिकारी (उद्यान अधिकारी) आशा राम जोशी की कार्यशैली की निंदा करते हुए आयोग ने अपर आयुक्त प्रशासन गढ़वाल मंडल उत्तम सिंह चौहान से भी जवाब मांगा था। अंततः 9 सितंबर 2025 को आयोग ने आदेश दिया कि सहायक अभियंता द्वारा जुर्माना राशि तीन माह में राजकोष में जमा कराई जाए, अन्यथा वेतन से तीन किस्तों में वसूली की जाएगी। सूचना आयोग ने कहा कि ऐसे मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जनहित में अत्यावश्यक है।