मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना बनी रोजगार की नई राह, गांवों में बसा नया विश्वास

मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना बनी रोजगार की नई राह, गांवों में बसा नया विश्वास


पौड़ी। राज्य सरकार की मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम योजना अब पहाड़ के गांवों के लिए नई उम्मीद बनकर उभर रही है। इस योजना के तहत पलायन प्रभावित गांवों में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।
वित्तीय वर्ष 2022-23 में जयहरीखाल विकासखंड के जड़ियाना क्लस्टर को योजना के लिए चयनित किया गया था। यहां कृषि, उद्यान, डेयरी, पशुपालन, शिक्षा और रेशम विभागों की 13 योजनाओं को स्वीकृति मिली, जिसमें 357 लाख रुपये में से 283.07 लाख रुपये व्यय किए गए। अब तक 9 कार्य पूर्ण और 4 प्रगति पर हैं।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी इसी क्लस्टर को चुना गया, जहां 7 कार्यों पर 151.93 लाख रुपये स्वीकृत हुए। इनमें से 129.43 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं और 9 में से 8 कार्य पूर्ण हो गए हैं।
सबसे अहम कदम सरकार ने 2024-25 में उठाया, जब अन्य पलायन प्रभावित गांवों को भी योजना में शामिल किया गया। कुल 15 योजनाओं में औषधीय पौधारोपण, दोना-पत्तल यूनिट, उन्नत नस्ल की बकरी खरीद, लो पॉली टनल और शहतूत रोपण जैसे कार्य शामिल हैं। इनमें 164.87 लाख रुपये की योजना में से अब तक 32.18 लाख रुपये व्यय हुए हैं। एक कार्य पूर्ण, 6 प्रगति पर और 9 शीघ्र शुरू होंगे।
मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत ने बताया कि इस योजना से ग्रामीणों और युवाओं में गांव में ही रोजगार तलाशने की प्रवृत्ति बढ़ी है। डेयरी, पोल्ट्री, उद्यान, औषधीय पौधों और पारंपरिक संसाधनों से जुड़कर आत्मनिर्भरता आसान हुई है।
जड़ियाना के अलावा द्वारिखाल, रिखणीखाल, पोखड़ा, यमकेश्वर, नैनीडांडा, बीरोंखाल और खिर्सू ब्लॉकों में भी यह योजना लागू है। राज्य सरकार की यह पहल न केवल विकास को रफ्तार दे रही है बल्कि पलायन रोकने में मील का पत्थर साबित हो रही है।

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