हरिद्वार में कांगड़ा घाट और सुभाष घाट पर गंगा में गिरते नाले, आस्था की नगरी में गंदगी की मार, आखिर जिम्मेदार कौन?

 

हरिद्वार से विशेष रिपोर्ट : कालू वर्मा,

हरिद्वार, 9 मई – एक ओर केंद्र और राज्य सरकार मां गंगा को अविरल और निर्मल बनाए रखने के लिए अरबों रुपये खर्च कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर धरातल पर तस्वीरें कुछ और ही हकीकत बयां कर रही हैं। हरिद्वार के कांगड़ा घाट और सुभाष घाट जैसे प्रमुख घाटों पर खुलेआम गंदे नाले गंगा में गिरते देखे जा सकते हैं।

 

इन पवित्र घाटों पर श्रद्धालु गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करने आते हैं, लेकिन उन्हें शायद इस बात का अंदाजा नहीं होता कि उनके ठीक पास ही गंदे नाले गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं।

 

 

तस्वीरों में दिखी गंगा की दुर्दशा

 

पहली तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि कैसे दो बड़े सीवर पाइप सीधे गंगा में खुल रहे हैं। नाले का गंदा पानी और कूड़ा-करकट गंगा की धारा में मिल रहा है, जिससे जल की पवित्रता और गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ रहा है।

 

 

दूसरी तस्वीर में सुभाष घाट की सीढ़ियों से सटा हुआ एक और बड़ा नाला नजर आता है, जहां से लगातार गंदगी बह रही है। वहीं तीसरी तस्वीर में पुल के नीचे गंगा के अंदर जमा कचरे के ढेर ने स्वच्छ भारत अभियान की हकीकत उजागर कर दी है।

 

 

स्थानीय लोग और श्रद्धालु नाराज

स्थानीय दुकानदारों और घाटों पर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि उन्होंने कई बार शिकायत की लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

 

प्रशासन और नगर निगम की चुप्पी सवालों के घेरे में
गंगा स्वच्छता मिशन और नगर निगम की जिम्मेदारी तय करना अब जरूरी हो गया है। आखिर इतने बड़े पैमाने पर हो रही गंदगी के बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?

 

क्या यही है ‘नमामि गंगे’ की सच्चाई ?

हरिद्वार जैसे तीर्थ स्थलों पर अगर मां गंगा को साफ नहीं रखा जा सकता, तो यह पूरे अभियान की साख पर सवाल खड़ा करता है। गंगा केवल नदी नहीं, करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है।

 

 

देखिए तस्वीरें जो सब कुछ कह रही हैं:

1. कांगड़ा घाट पर गंगा में गिरते खुले नाले

2. सुभाष घाट पर गंगा में खुलता सीवर

3. पुल के नीचे जमा कचरा और गंदगी का अंबार

 

 

 

अब सवाल यह है:

क्या प्रशासन आंखें मूंदे बैठे रहेगा या मां गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए ठोस कदम उठाएगा?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *