दवा घोटाले में दोषियों के खिलाफ सीबीआई जांच वापस करने वालों के खिलाफ की, दंडात्मक कार्रवाई की मांग, भाजपा नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भी आए इस मामले की चपेट मे ?

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संवाददाता कालू वर्मा,

 

हरिद्वार। राष्ट्रीय सूचना अधिकार जागृति मिशन अध्यक्ष समाजिक कार्यकर्ता रमेश चंद शर्मा ने पर्वतन निदेशालय ई डी से गंभीर 600 करोड़ के दवा घोटाला प्रकरण की सी बी आई जांच समाप्त करने के एवज में भ्रष्टाचार के आरोपियों को बचाने के लिए उनसे हवाला प्रक्रिया से ली गई रिश्वत के द्वारा किए गए मनी लॉन्ड्रिंग घोटाला की जांच कराने उपरांत दंडातामक कार्यवाही की निष्पक्ष मांग की।

सूचना अधिकार तहत सूचना आयुक्त ने वर्ष 2011 से लेकर 2013 तक 3 स्तर के महानिदेशक से दवा घोटाला की जांच कराई थी। जांच परिणाम के आधार पर सूचना आयुक्त ने 6 जनवरी 2014 को सी बी आई जांच कराने की संतुती शासन को की थी।

मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 11 अप्रैल 2014 को तत्काल सी बी आई जांच कराने का लिखित आदेश शासन को दिया था। गृह विभाग शासन ने सी बी आई जांच कराने की अधिसूचना संख्या 1078/XX_1_2014_9(3)2014 दिनाक 29 अप्रैल 2014 को जारी की थी।

 

सचिव गृह शासन मंजुल जोशी ने शासकीय पत्र संख्या 1079/XX _ 1_2014_9(3) दिo29/4/2014 द्वारा भारत सरकार कार्मिक मंत्रालय से सी बी आई जांच टीम गठित करने का अनुरोध किया था।

 

सी बी आई शाखा देहरादून प्रभारी ने शासन के पत्र संख्या 7055/8/1/2014/Pi/DAD/दिo 19/9/2014द्वारा निर्देश दिया था कि दवा घोटाला प्रकरण के खिलाफ FIR दर्ज कराए।

 

अनुसचिव स्वास्थ्य चिकित्सा ने 600 करोड़ रुपया के दवा घोटाला प्रकरण के घटना क्रम की लिखित रिपोर्ट पत्र संख्या 107/XXX VII _2/2015_1(29) दिo 22/1/2015द्वारा प्रेषित कराई थी

सी बी आई शाखा देहरादून प्रमुख ने पत्र संख्या 7_8_2019 तथा 28/8/2019एवम 26/9/2019 के भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018की धारा 17ए तहत माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रेषित करा कर एन एच आर एम दवा घोटाला मे सलिप्त समस्त दोषियों के खिलाफ जांच कराने की सहमति मांगी थी। शासन ने शासकीय पत्रावली में अनुमोदन प्रक्रिया लिख कर मुख्यमंत्री से उस पर स्वीकृति 27/2/2019 को मांगी थी। शासकीय पुष्ठ संख्या 67 पर मुख्यमंत्री ने सी बी आई जांच वापस कराने का आदेश दिया था।

शासकीय पुष्ठ संख्या 71 पर मुख्यमंत्री ने दिo 10/3/2020 से स्वयं हस्ताक्षर से सी बी आई निरस्त कर सतर्कता विभाग से 600 करोड़ दवा घोटाला की जांच कराने का आदेश दिया था।

ग्रह विभाग शासन सचिव ने मुख्यमंत्री के निर्णय पर न्याय विभाग शासन का न्यायिक परामर्श 15 अप्रैल 2020 को मांगा था न्याय प्रमुख सचिव ने सरकार को परामर्श दिया था कि भारत सरकार डीo ओo पीo टीo विभाग ने दिo 18/7/2019 को अधिसूचना संख्या 228 को जारी करने से दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेसावी लिसमेंट की शक्तियां आधिकारिक आवेशन हेतु संपूर्ण उत्तराखंड राज्य में जांच कराने के लिए विस्तारित Ex tend कर दी है ऐसी स्थिति मे दवा घोटाला प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच किसी अन्य राजस्तरीय संगठन से कराना उचित प्रतीत नहीं होता है टिप्पणी शासकीय पुष्ठ संख्या 73पर अंकित है

 

सचिव शासन ने महाधिवक्ता उच्च न्यायालय से भी दिo 30 जून 2020 की सी बी आई जांच निरस्त कराने के लिए मुख्यमंत्री के निर्णय पर न्यायिक सलाह मांगी थी उस पर शासकीय पुष्ठ संख्या 75पर महाधिवक्ता ने लिखित में परामर्श दिया था कि भारत सरकार की सी बी आई अधिसूचना को निरस्त कर अन्य राज्य स्तरीय संगठन से जांच कराने न्याय समस्त अधिकार मुख्यमंत्री को प्राप्त नहीं है

 

मुख्यमंत्री ने दवा घोटाला में संलिप्त स्वास्थ्य मंत्री दवा व्यापारियों अधिकारियों से रिश्वत में हवाला परक्रिया से लिए गए धन के दवाब प्रभाव में न्याय विभाग। महाधिवक्ता के दिए गए न्याय परमर्श के खिलाफ हट धर्मिता करते हुए शासकीय पुष्ठ संख्या 75 में पूर्व आदेशानुसार लिख कर सी बी आई जांच के अधिसूचना संख्या 1078/XX _1 दिo 29 अप्रैल 2014 समाप्त कर उसकी सूचना पत्र संख्या 507 द्वारा कार्मिक मंत्रालय भारत सरकार को भिजवाकर 600करोड़ रुपया का एन आर एच एम दवा घोटाला को जमीदोराज वर्ष 17 अगस्त2020 में जारी शासकीय आदेश संख्या 507से करा दिया है।

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