पांच सौ साल पुराने नाग मंदिर में आयोजित होगी शिव महापुराण

मसूरी संवाददाता भरत लाल 25 जुलाई 2022

 

मसूरी में पांच सौ साल पुराने नाग मंदिर में आयोजित होगी शिव महापुराण कथा सैकड़ों भक्तों ने करी कलश यात्रा में शिरकत
मसूरी के नाग देवता मंदिर समिति ने हाथी पाँव रोड स्थित नाग मंदिर परिसर में आयोजित 13 वां महारुद्र यज्ञ एवं शिव महापुराण कथा का शुभारंभ किया गया भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने डोली और कलश यात्रा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

इससे पूर्व मसूरी के भट्टा क्यार कुली गांव से कलश यात्रा निकाली गई जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया वहीं महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर नंगे पैर करीब 10 किलोमीटर का पैदल सफर तय किया इस अनुष्ठान को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है भक्त पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन में नाग देवता की जय कारा करते हुए झूमते हुए नजर आए।

इस दौरान नाग देवता के भक्तों ने नागराज के जय मंत्र के साथ कलश यात्रा का शुभारंभ किया महिलाओं ने सिर पर कलश रखकर नंगे पैर पहाड़ी रास्ते से करीब 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय कर नाग मंदिर पहुंची यात्रा के पांडवों पर पर्यटकों को राहगीरों ने भी भगवान नाग देवता की डोली के दर्शन किए कलश यात्रा के नाग मंदिर पहुंचने पर महिलाओं ने कलश को श्रीमद् भागवत कथा मंडप में स्थापित की है जिसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान नाग देवता के दर्शन किए और शिवलिंग जलाअभिषेक किया और नाग देवता की प्रतिमा पर दूध अभिषेक कर परिवार की खुशहाली की कामना की।

क्या है नाग देवता के मंदिर का इतिहास

स्थानीय निवासी राकेश रावत और होशियार सिंह का मानना है कि कलश यात्रा के दौरान महिलाएं अपने सर पर रख के कलश को हटाती नहीं है क्योंकि अगर कलर्स हट जाए तो यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है गांव के बुजुर्गों का मानना है कि यह मंदिर पांच सौ साल पुराना है कई साल पहले एक गाय शाम के समय चढ़कर अपने गौशाला में पहुंचती है तो उसके थन में दूध नहीं पाया गया क्योंकि वह अपना दूध पत्थर पर छोड़ कर आ जाती है जिसे नाग देवता पी जाते हैं थे गौर है कि मालिक द्वारा एक दिन गाय का विदा किया गया तो उन्होंने गाय को पत्थर पर दूध छोड़ते देखा कि उस दूध को एक नाक भी रहा था तभी से यह परंपरा स्थान नाग मंदिर की स्थापना की गई जिसे क्यार कुली भट्टा गांव के लोगों द्वारा नाग देवता को कुल देवा मानने लगे वही इस दिन नागपंचमी की एक सप्ताह पूर्व ढोल नगाड़ों के साथ पारंपरिक वेशभूषा में त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

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